क्यों नही होती ब्रह्मा जी की पूजा, कहां है ब्रह्मा जी का एक मात्र मंदिर।
वैसे तो हिन्दू धर्म में तीन प्रमुख देव है ब्रह्मा, विष्णु और महेश। यह तीनों देव सृष्टि के रचियता, पालक और नाशक हैं। विष्णु और महेश की पूजा तो हम सब करते है और उनका मंदिर भी हर जगह दिखे है। इन दोनों देवों को कई व्रत और त्योहार भी समर्पित है। परंतु की कभी आपने सोचा है कि ब्रह्मा जी की पूजा क्यों नही होती है, उनका कोई मंदिर नही है और न ही घरों में मूर्ति मिलती है। ना ही कोई विशेष व्रत, त्योहार या दिन उनको समर्पित है। आपकी जानकारी के लिए बात दे राजस्थान के पुष्कर में मात्र एक ऐसा मंदिर है जहां ब्रह्मा जी की पूजा होती है। आइये जानते है कारण की क्यों नही होती ब्रह्मा जी की पूजा, पुष्कर से क्या है ब्रह्मा जी का नाता और पुष्कर के ब्रह्मा जी के मंदिर के बारे में।
पुष्कर को मंदिरो की नगरी कहा जाता है। मुग़ल शाशकों द्वारा यह स्तिथ हिन्दू मंदिरों को नष्ट कर दिया था। लेकिन ब्रह्मा जी का मंदिर आज भी ज्यों का त्यों बना हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि पुष्कर झील ब्रह्मा जी के कमल की एक पत्ती से बनी है। इसी कारण से हिन्दूओं के लिए इस झील की मान्यता और भी बढ़ जाती हैं।
इस मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में हुआ था। इसमें एक सुंदर नक्काशीदार चांदी का कछुआ है, जो विभिन्न आगंतुकों द्वारा दान किए गए चांदी के सिक्कों के साथ संगमरमर के फर्श पर स्थापित किया गया है। मंदिर के गर्भगृह में उनकी दुल्हन, गायत्री के साथ ब्रह्मा जी की चार मुखी मूर्ति है।
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यह मंदिर पुष्कर झील के किनारे स्थित है। यह मंदिर हर साल पर्यटकों और श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। कहा जाता है कि पुष्कर की खूबसूरती देखते हुए ब्रह्म देव ने स्वयं ही इस मंदिर को चुना था। इसलिए ब्रह्मा जी का पुष्कर से एक अलग नाता है। प्राचीन ग्रंथों के मुताबिक, पुष्कर दुनिया की इकलौती जगह है, जहां ब्रह्मा का मंदिर स्थापित है और इस जगह को हिंदुओं के पवित्र स्थानों के राजा के रूप में वर्णित किया गया है।
यह तो बात हुई मंदिर कहा स्थित है और कब बना और इसकी इतनी मान्यतायें क्यों है। अब बात आती है कि क्या वो कारण है जिसके चलते ब्रह्मा जी की पूजा नही की जाती है। वैसे तो इस कारण के साथ कई कहानियां जुड़ी हई है। तो आपको बता दे कि वो कौन सा श्राप था जिसके चलते धरती लोक पर पत्र पुष्कर ही एक ऐसा स्थान बना जहां ब्रह्मा जी की पूजा की जाती है। यह कथन कुछ इस प्रकार है एक समय की बात है ब्रह्मा जी ने पृथ्वी पर भक्तों की भलाई के लिए यज्ञ का विचार किया। यज्ञ की जगह का चुनाव करने के लिए उन्होंने अपने एक कमल को पृथ्वीलोक भेजा और जिस स्थान पर कमल गिरा उसी जगह को ब्रह्मा ने यज्ञ के लिए चुना।
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यह जगह राजस्थान का पुष्कर शहर था, जहां उस पुष्प का एक अंश गिरने से तालाब बन गया था। उसके बाद ब्रह्मा जी ने यज्ञ करने के लिए पुष्कर पहुंचे, लेकिन उनकी पत्नी सावित्री ठीक समय पर नहीं पहुंची। यज्ञ का शुभ मुहूर्त बीतता जा रहा था, लेकिन सावित्री का कुछ पता नहीं था। सभी देवी-देवता यज्ञ स्थल पर पहुंच चुके थे। ऐसे में ब्रह्मा जी ने नंदिनी गाय के मुख से गायत्री को प्रकट किया और उनसे विवाह कर अपना यज्ञ शुभ समय पर शुरू किया। कुछ देर बाद सावित्री यज्ञ स्थल पर पहुंची और ब्रह्मा जी के बगल में किसी और स्त्री को देख क्रोधित हो गई। सावित्री ने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि इस पृथ्वी लोक में आपकी कहीं पूजा नहीं होगी। इस श्राप को देखते हुए सभी देवी -देवताओं ने जब सावित्री से आग्रह किया तब उन्होंने श्राप वापस लिया और कहा कि, धरती पर सिर्फ पुष्कर में ही ब्रह्मा जी की पूजा होगी। तब से इस मंदिर का निर्माण किया गया।
यही वह कारण है जिसके चलते इस मंदिर का निर्माण हुआ और ब्रह्मा जी को उनकी पूजा न होने का श्राप मिला। इस स्थान का संबंध स्वयं ब्रह्मा जी से है सृष्टि के रचयिता से है। आप भी एक बार इस मंदिर जरूर घूमने जाये। यहाँ के मंदिर की नक्काशी और इसकी बनावट आपका ध्यान अपनी ओर स्वयं आकर्षित कर लेगी।
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