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भगवान की पूजा में क्यों आवश्यक है आरती

My Jyotish Expert Updated 16 Apr 2020 07:11 PM IST
God Pooja: Why Aarti is important in worshiping God
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हिन्दू धर्म में संध्योपासना के 5 प्रकार हैं- 1. संध्यावंदन, 2.प्रार्थना, 3. ध्यान, 4. कीर्तन और 5. पूजा-आरती। व्यक्ति की जिसमें जैसी श्रद्धा है, वह वैसा करता है। भगवान को पूजने के अलग अलग माध्यम हैं परन्तु सभी की आरती जरूर की जाती है। प्राचीनकाल से ही देवी-देवताओं की विधिवत पूजाकर उनकी आरती उतारी जाती है व भोग लगाकर पूजा संपन्न की जाती है। आज के समय मनचाहे तरीकों से पूजा होने लगी, लोग अपने मन पसंद और सुविधानुसार पूजा करते हैं। परन्तु उन्हें ध्यान होना चाहिए की कुछ चीज़ें यदि परंपरागत रूप से न की जाएं तो उसके पर्याप्त फल प्राप्त नहीं होते हैं।


आरती- आरती को 'आरात्रिक' अथवा 'नीराजन' के नाम से भी पुकारा गया है। आराध्य के पूजन में जो कुछ भी त्रुटि या कमी रह जाती है, उसकी पूर्ति आरती करने से हो जाती है। साधारणतया 5 बत्तियों वाले दीप से आरती की जाती है जिसे 'पंचप्रदीप' कहा जाता है। इसके अलावा 1, 7 अथवा विषम संख्या के अधिक दीप जलाकर भी आरती करने का विधान है। दीपक की लौ पूर्व दिशा की ओर रखने से आयु वृद्धि, पश्चिम की ओर दुःख वृद्धि, दक्षिण की ओर हानि और उत्तर की ओर रखने से धनलाभ होता है। लौ दीपक के मध्य लगाना शुभ तथा फलदायी होता है। इसी प्रकार दीपक के चारों ओर लौ प्रज्वलित करना भी शुभ है।
आरती के महत्व की चर्चा सर्वप्रथम "स्कन्द पुराण" में की गई थी ।आरती हिन्दू धर्म की पूजा परंपरा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है। किसी भी पूजा पाठ, यज्ञ, अनुष्ठान के अंत में देवी-देवताओं की आरती की जाती है। आरती की प्रक्रिया में एक थाल में ज्योति और कुछ विशेष वस्तुएं रखकर भगवान के सामने घुमाते हैं। थाल में अलग-अलग वस्तुओं को रखने का अलग-अलग महत्व होता है। लेकिन सबसे ज्यादा महत्व होता है आरती के साथ गाई जाने वाली स्तुति का। मान्यताओं के अनुसार जितने भाव से आरती गाई जाती है, पूजा उतनी ही ज्यादा प्रभावशाली होती है।
आरती की थाल में रुई, घी, कपूर, फूल, चंदन होता है। रुई शुद्ध कपास होता है इसमें किसी प्रकार की मिलावट नहीं होती है। इसी प्रकार घी भी दूध का मूल तत्व होता है। कपूर और चंदन भी शुद्घ और सात्विक पदार्थ है।  जब रुई के साथ घी और कपूर की बाती जलाई जाती है तो एक अद्भुत सुगंध वातावरण में फैल जाती है। आरती से ईश्वर की कृपा तो प्राप्त होती ही है साथ ही साथ घर का वातावरण भी शुद्ध होता है।

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