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श्री गणेश को हिंदू धर्म के लोगों द्वारा पूजा जाता है। श्री गणेश की आरती मुख्य रूप से बुधवार के दिन की जाती है। पूरे देश भर में गणेश चतुर्थी को धूमधाम से मनाया जाता है। गणपति जी की जब भी पूजा की जाती है तो उन्हें चढ़ावे में मूंग दाल के मोदक जरूर चढ़ाने चाहिए क्योंकि गणपति बप्पा को मोदक के लड्डू अत्यंत प्रिय है। उनको मोदक के लड्डू चढ़ाने के बाद ही उनकी आरती करें ऐसी मान्यता है कि जो मोदक खाता है वह अमर हो जाता है और सभी शास्त्रों को ज्ञानी हो जाता है। पूजा के बाद अगर आरती ना हो तो पूजा अधूरी रह जाती है गणेश जी की आरती करने से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म में जब भी कोई कार्य शुरू किया जाता है तो गणेश जी की पूजा को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले श्री गणेश जी की आरती व पूजा जरूर की जाती गणेश जी की पूजा मात्र से कार्यों में आ रही अड़चनें दूर हो जाती है वह सभी कार्य भी सफल होते हैं। श्री गणेश को खुश करने का सबसे आसान उपाय है दुर्वा श्री गणेश को दुर्वा बहुत प्रिय है क्योंकि उसमें अमृत मौजूद है।
श्री गणेश जी की आरती:
सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव
रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव
लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को
हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को
जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव
अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी
विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी
जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव
भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव