तो आइए आज हम आप को बताते हैं कि शनि के प्रकोप से कैसे बचा जा सके जिसे शनिदेव भगवान आप से प्रसन्न रहें।
मान्यता है कि हर शनिवार के दिन शनि मंदिर में जाकर पूजा करने से भी शनि का आशीर्वाद बना रहता है। सूर्यास्त के बाद हनुमान जी की पूजा करें और पूजा में सिंदूर, तेल, दीपक और नीले रंग के फूल का इस्तेमाल करें। क्योंकि हनुमान जी की पूजा विधि-विधान के साथ करने से शनि का प्रकोप कम होता है और जल्दी ही ये अपने भक्तों से प्रसन्न हो जाते है।
शनिवार को शनि के 10 नामों के साथ पूजा करने से भी शनि जल्दी प्रसन्न होते है। कोणस्थ, पिंगल, बभ्रु, कृष्ण, रौद्रान्तक, यम, सौरि, शनैश्चर, मंद व पिप्पलाद।
अगर आप पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है तो इस वक्त आप को मांस,धूम्रपान और दारू से दूर रहना चाहिए। ऐसा करने से शनि के दुष्प्रभाव में कमी आती है।
शाम को सूरज ढलने से पहले स्नान कर के बरदग या पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक लगाएं और दूध, ध्रप आदि से पूजा करें।
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मान्यता है कि शनिवार को बंदरों और काले कुत्तों को बूंदी के लड्डू खिलाने से भी शनि देव प्रसन्न होते है और इसे शनि दोष कम होता है और साथ ही साथ आप काले घोड़े की नाल या नाव में लगी कील से बना छल्ला धारण करें।
जिस व्यक्ति पर शनि की महादशा बनी हुई है तो उसे अपने घर में शनि यंत्र को स्थापित करना चाहिए और हर रोज विधि-विधान के साथ पूजा करनी चाहिए और प्रतिदिन शनि यंत्र के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
घर में शनि की मूर्ति या चित्र लगाने से शनि दोष कम होता है और साथ ही प्रतिदिन सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद पंचोपचार से विधिवत पूजन करें। इसके बाद अगर आप के पास रुद्राक्ष माला है तो उसके नीचे लिखे किसी भी एक मंत्र का कम से कम पांच बार माला का जप करें एवं शनिदेव से प्रार्थना करें कि हमारे जीवन में सुख-शांति बनी रहे।
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