इस दिन धार्मिक स्थलों इत्यादि पर विशेष पूजा पाठ का आयोजन भी किया जाता है। यह दिन कई मायनों से महत्वपूर्ण होता है इस दिन पूर्णिमा का समय होता है और साथ ही भगवान विष्णु जी का पूजन भी इस विशेष समय पर श्रद्धा ओर उल्लास के साथ किया जाता है। इस शुभ समय पर देश भर में बहुत से धार्मिक आयोजन संपन्न होते हैं।
धर्म नगरियों में इस अवसर पर मेलों स्नान दान एवं अनुष्ठान इत्यादि के कार्य किए जाते हैं। हजारों की संख्या में शृद्धाल जन पवित्र नदियों, पोखरों इत्यादि में स्नान करते हैं और इस शुभ दिवस का लाभ उठाते हैं।
कैसे करें व्यास पूजा
व्यास पूजा के दिन प्रात:काल स्नान इत्यादि कार्यों से निवृत होकर साफ स्वच्छ वस्त्रों को धारण करना चाहिए। इसके पश्चात वेद व्यास जी को स्मरण करते हैं उनके प्रति नमन एवं भक्ति भाव प्रकट करना चाहिए. यदि आप किसी गुरु को मानते हैं तो इस दिन अपने गुरु के चरण कमलों में नमस्कार अवश्य करें और उनसे आशीर्वाद ग्रहणकरना चाहिए। भगवान श्री विष्णु जी को नमस्कार करते हुए पूजा अर्चना करनी चाहिए। श्री विष्णु जी को पूजन सामग्री अर्पित करनी चाहिए और व्यास जी की प्रतिमा अथवा उनके चित्र के समक्ष भी फूल एवं पूजा सामग्री अर्पित करनी चाहिए। भगवान और गुरु के समक्ष धूप दीप द्वारा अर्चन वंदन करना चाहिए. पूजा की सामग्री में पुष्प एवं पुष्प माला रखनी चाहिए, नारियल, मोली, कुमकुम या रोली, जनेउ, पंचवस्त्र, मिठाई-फल इत्यादि को रखना चाहिए. पूज अके पश्चात भगवान एवं गुरु के समक्ष नतमस्तक होकर आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए।
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वेद व्यास जयंती
वेद व्यास जी के जन्म दिवस का समय व्यास जयंती और पूजा विशेष के लिए अत्यंत ही शुभदायक होता है। इस दिन वेदों को नमस्कार करना चाहिए और वेदों का स्मरण भी करना चाहिए. वेद व्यास जी द्वार रचित महाभारत को भी पंचम वेद की संज्ञा दी गई है। महाभारत के सूत्रधार के रुप में उनका ज्ञान विश्व के लिए अमूल्य धरोहररहा है। वेद व्यास जयंती उसी महत्व को प्रकाशित करती है।
व्यास पूजा महत्व
व्यास पूजा प्रतिवर्ष आढ़ाष मास की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस दिन वेद व्यास जी के निम्मित पूजा का विधान रहा है. वेदों के रचियता रहे वेद व्यास का जन्म ज्ञान के प्रकाश का समय था। वेदों द्वारा ही ज्ञान आलौकित हो पाया और आज भी उसके प्रकाश द्वारा संस्कृतियों वं सभ्यताओं का विकास अनवरत गति से हो रहाहै। व्यास जी का जन्म महाभत काल की एक महत्वपुर्ण घटना भी है जिसके द्वारा विश्व को ऎसे ज्ञान से अवगत होने का मौका मिला जो प्रत्येक मनुष्य के पुरुषार्थों को सार्थक करने वाली रही है। जिस प्रकार अंधकार को प्रकाश द्वारा दूर किया जा सकता है उसी प्रकार अज्ञान के अंधकार को दूर करने का सामर्थ्य गुरु के पास ही निहित होता है. इस कारण से व्यास पूजा वेद व्यास जी के प्रति समर्पण को दर्शाती है और उनके ज्ञान की रोशनी द्वारा हम सभी प्रकाश को पा सके हैं।
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