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Home ›   Blogs Hindi ›   Vishnu Avtaar: Learn the legend of the birth of Rishabhdev, an incarnation of Lord Vishnu.

Vishnu Avtaar: जानें भगवान विष्णु के अवतार ऋषभदेव के जन्म की पौराणिक कथा।

Myjyotish Expert Updated 23 Mar 2022 03:35 PM IST
जानें भगवान विष्णु के अवतार ऋषभदेव के जन्म की पौराणिक कथा।
जानें भगवान विष्णु के अवतार ऋषभदेव के जन्म की पौराणिक कथा। - फोटो : google
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भगवान विष्णु के अवतार थे ऋषभदेव ,जाने जन्म के पीछे की पौराणिक कथा


ऐसा विराट व्यक्तित्व लग रहा है, जो 1 से अधिक परंपराओं में समान रूप से मान्य व पूज्य रहा हो। भगवान ऋषभदेव भगवान ऋषभदेव दुर्लभ महापुरुषों में से एक है। जैन परंपरा के अनुसार काल का न आदि है, न अंत। जन-जन की आस्था के केंद्र तीर्थंकर ऋषभदेव का जन्म चैत्र कृष्ण नवमी को अयोध्या में हुआ था तथा माघ कृष्ण चतुर्दशी को इनका निर्माण कैलाश पर्वत पर हुआ था। आचार्य जिनसेन के आदि पुराण में तीर्थंकर ऋषभदेव की जीवन चरित्र का विस्तार से वर्णन है।

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भागवत पुराण में उन्हें विष्णु के 24 अवतारों में से एक माना गया है। वह आग्नीध्र राजा नाभि के पुत्र थे । माता का नाम मरू देवी था । दोनों परंपराएं उन्हें इक्ष्वाकुवंशी और कौशल राज मानती है। जैन तीर्थ कार ऋषभदेव को अपना प्रवर्तक तथा प्रथम तीर्थकार मानकर पूजा करते ही हैं ।किंतु भागवत श्री घोषणा करता है नारी का प्रिय करने के लिए विष्णु ने मरु देवी के गर्भ से वातरशना ब्रह्मचारी ऋषियों को धर्म का उपदेश देने के लिए ऋषभदेव के रूप में जन्म लिया।

भगवान ऋषभदेव ने भारतीय संस्कृति को जो कुछ दिया है उसमें असि, मसि, कृषि, विद्या वाणिज्य और शिल्प शामिल है। इन छह कर्मों के द्वारा उन्होंने जहां समाज को विकास का मार्ग सुझाया ,वहीं अहिंसा, संयम तथा तप के उपदेश द्वारा समाज की आंतरिक चेतना को भी जगाया।भारतीय संस्कृति को जो योगदान उन्होंने दिया, उसकी चर्चा संसार के प्राचीनतम ग्रंथ ऋग्वेद में भी है।

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आत्मा ही परमात्मा है यह सूचना भारतीय संस्कृति को उन धर्म से अलग करती है जिनमें कहा गया है कि जीव कभी परमात्मा नहीं हो सकता भारतीय चिंतन में जो आत्मा है वही परमात्मा है । ऋषभदेव का यह स्वर इतना बलवान था कि केवल जैन तक सीमित नहीं रहा बल्कि पूरे भारतीय चिंतन में व्याप्त हो गया। उपनिषदों ने भी घोषणा की 'अयम आत्मा ब्रह्म।'वेदांत ने तो यहां तक कहा कि सब शास्त्रों का सार यही है कि जीव ही ब्रह्म है। इस तथ्य के अन्वेषण में भगवान ऋषभदेव का महत्वपूर्ण योगदान है।

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