वास्तु शास्त्र के हिसाब से घर बनवाने के सकारात्मक प्रभावों के विषय में बहुत से वास्तु ग्रंथों में लिखा गया हैं। वास्तु अनुसार घर न बनवाने की वजह से घर में लड़ाई-झगड़े और तनाव की स्थिति बनी रहती हैं। आपसी रिश्तों में कड़वाहट और उदासीनता आ जाती हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मुख्य द्वार से लेकर बेडरूम , बाथरूम और किचन को भी वास्तु दोषों से मुक्त रखना चाहिए ताकि हर कोई सुखी रह सके। घर का मुख्य द्वार उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए क्योकि यह सूर्योदय की दशा हैं जो घर में सकारात्मक व उर्जावान किरणों का संचार करती हैं और घर की ढलान भी सदेव पूर्व, उत्तर या उत्तर पूर्व दिशा में होना शुभ माना जाता हैं। घर में सुख-शांति और समृद्धि लाने के लिए वास्तु शास्त्र के इन नियमों का रखे ध्यान :
घर के लिए वास्तु टिप्स -:
- घर का निर्माण करवाते समय आवश्यक रूप से पहले भूमि पूजा करवानी चाहिए।
- कभी भी तिराहे या चौराहे पर, शहर या गांव से बाहर किसी वीरान जगह पर घर नहीं बनाना चाहिए। इसके अतिरिक्त गली या सड़क के अंतिम प्लॉट पर मकान नहीं बनाने की सलाह दी जाती हैं।
- घर की सीढ़ियों के लिए दक्षिण, पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा शुभ होती हैं। सीढ़ियाँ उत्तर-पूर्व दिशा में होने से आर्थिक नुकसान, बीमारी, कई अड़चनें आती हैं।
4. घर बनवाते वक्त पुरानी लड़की, ईंटों या शीशों आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
5. वास्तु शास्त्र के मुताबिक कभी भी नाहर मुखी घर नहीं बनवाना चाहिए एवं टी शेप का प्लॉट नहीं खरीदना चाहिए।
6.घर के भीतर नकारात्मक ऊर्जा न प्रवेश कर सके, इसलिए घर के मुख्य द्वार पर रोली से दाईं ओर 'शुभ' और बाईं ओर 'लाभ' लिखें. साथ ही दरवाजे के ऊपर 'ॐ' की आकृति और स्वास्तिक बनाएं।
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