इसके अतिरिक्त अगर उनका स्वास्थ्य ख़राब हुआ तो रसोई में बनने वाला भोजन भी उत्तम नहीं होगा जिससे भवन के अन्य सदस्य भी प्रभावित हो जाते है । रसोई घर के वास्तु दोष ( Rasoi ghar ke vastu dosh ) होने पर भवन के निवासियों को आर्थिक समस्याएँ भी लगी ही रहती है । उस भवन में कमाई जितनी भी हो धन टिकता नहीं है । सामान्यता: यह देखा जाता है कि रसोई घर में वास्तु दोष ( Rasoi ghar ke vastu dosh ) विधमान ही रहते है अत: उनका उपाय अनिवार्य रूप से करना चाहिए ।
1. यदि आपका रसोईघर भवन में अग्निकोण में न होकर किसी ओर दिशा में बना है तो रसोई की दक्षिण दिशा की दीवार पर यज्ञ करते हुए ऋषियों का चित्र लगाएं। इससे आपकी रसोई के वास्तु दोष का निवारण हो जायेगा एवं आर्थिक समस्याएँ भी नहीं आएगी ।
2. यदि आपकी रसोई आग्नेय दिशा की जगह किसी और दिशा में हो तो आप रसोई घर के आग्नेय कोण में लाल रंग का बल्ब लगा कर उस दोष को दूर कर सकते है ।
3. यदि आपके घर में रसोई घर में कोइ वास्तुदोष हो तो पंचररत्न को तांबे के कलश में डालकर उसे अपनी रसोई के ईशान्य कोण यानी उत्तर-पूर्व के कोने में स्थापित करें।
4. यदि रसोई का सिंक उत्तर दिशा या ईशान कोण में न हो और उसे बदलना भी मुश्किल हो तो अपने सिंक के उपाय एक लकड़ी या बांस का पाँच राड वाला विण्ड चिम लगाएं।
5. अगर आपके घर में रसोई घर आग्नेय दिशा के स्थान पर किसी और दिशा में बनी हो तो उसकी दक्षिण और आग्नेय दिशा की दीवार को लाल रंग से रंगकर कर उसका दोष दूर किया जा सकता हैं।
6. चूल्हा मुख्य द्वार से नहीं दिखना चाहिए। यदि ऐसा हो और चूल्हे का स्थान बदलना संभव नहीं हो तो पर्दा लगा सकते हैं।
7. अत: इससे स्पष्ट है कि उत्तम स्वास्थ्य और घर के सदस्यों के मध्य परस्पर प्रेम और सौह्र्द्य के लिए सभी को रसोई घर के वास्तु के सिद्दांतो का अवश्य ही पालन करना चाहिए ।
8. रसोईघर में इलेक्ट्रॉनिक् उपकरण जैसे फ्रिज, टोस्टर, माइक्रोवेव, मिक्सी, आटा चक्की आदि दक्षिण दीवार, अग्नेय, पश्चिम दीवार के पास रखने चाहिए, लेकिन नैत्रत्य में नहीं, क्योंकि इस दिशा में रखने पर यह ज्यादातर ख़राब ही रहते है ।
9. रसोई घर में खिड़कियाँ और हवा वाहर फेखने वाला पंखा एक्जास्ट फैन पूर्व अथवा उत्तर दिशा होना चाहिए।
10. यदि भोजन करने की व्यवस्था भी रसोई घर में ही हो तो यह रसोई के पश्चिम दिशा में होनी चाहिए ।
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11. घर में भोजन बनाने वाली महिला को रसोई घर में कभी भी भोजन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से घर में दरिद्रता का वास होता है ।
12. भोजन करते समय पूर्व अथवा उत्तर दिशा की तरफ मुख करके भोजन करना चाहिए। दक्षिण में मुख करके भोजन करने से यथासंभव बचना चाहिए ।
13. रसोई घर में मंदिर / पूजा का स्थान बिलकुल भी नहीं होना चाहिए.अन्यथा देवता नाराज़ हो जाते है, घर के सदस्यों को रोग एवं दरिद्रता का सामना करना पड़ता है ।
14. भवन की रसोई में बनने वाली पहली 3 रोटियाँ गाय, चिड़ियों और कुत्ते के लिए निकालनी चाहिए, इसके बाद भी वहाँ के निवासियों को भोजन करना चाहिए ।
15. मान्यता है कि जिस भवन में रात में खाना बनाने के बाद चूल्हा साफ कर दिया जाता है और रसोई घर में कोई भी झूठे बर्तन नहीं रहते है वहाँ पर माँ अन्नपूर्णा की सदैव कृपा बनी रहती है ।
16. रसोई घर साफ सुधरी होनी चाहिए अस्त व्यस्त नहीं । फैली हुई रसोई वहाँ के निवासियों के लिए नाना प्रकार की मुसीबतें लाती है। अगर हमारे भवन की रसोई अच्छी है तो हमारे शनि , रहू , केतु , और गुरु अच्छे रहते है ।
17. रसोई में कभी भी बिना नहाये अथवा बिना हाथ पैर धोये प्रथम बार प्रवेश न करे , यानी प्रात उठ कर अगर आपको रसोई में कुछ काम है तो सबसे पहले आप नहा कर या हाथ पैर धो कर ही रसोई में प्रवेश करे ।
18. भवन का मालिक या मालकिन बिना नहाये अथवा बिना हाथ पैर धोये रसोई में बिलकुल न जाए , अन्यथा राहू और शनि से पीड़ा मिलती है, लेकिन रसोई घर में स्वच्छ होकर जाने से उनका प्रभाव काफी हद तक कम हो जाता है ।
19. रसोई घर मंदिर की तरह साफ और पवित्र होना चाहिए अत: इस बात का ध्यान रखें कि उसमें कोई भी जूते चप्पल पहन कर प्रवेश ना करें कम से कम घर का मालिक या मालकिन तो इसका पालन अवश्य ही करें ।
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