आचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि उज्जैन में इस दिन वैकुंठ चतुर्दशी पर हरिहर मिलन सवारी निकाली जाती है। जो अलग-अलग स्थानों, शहरों के विभिन्न मार्गों से होते हुए श्री महाकालेश्वर मंदिर पर पहुंचती है। वैकुंठ चतुर्दशी पर भक्तजनों का तांता लग जाता है।
रात को ठाठ-बाठ से भगवान शिव जी पालकी में सवार होकर आतिशबाजियों के बीच भगवान विष्णु जी के अवतार श्रीकृष्ण से मिलने पहुंचते हैं।
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प्रति वैकुंठ चतुर्दशी पर हरिहर मिलन होता है। भगवान शिवजी व विष्णु जी मिलते हैं एवं जो सत्ता भगवान शिव जी के पास है, वह विष्णु जी भगवान को इसी दिन सौंपते हैं। इस परंपरा को देखने के लिए मंदिरों में वैकुंठ चतुर्दशी पर श्रद्धालुओं की अपार भीड़ जुटती है.!
देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु जी पाताल लोक में राजा बलि के यहां विश्राम करने जाते हैं, इसीलिए इन दिनों में शुभ कार्य नहीं होते। उस समय सत्ता शिव जी के पास होती है और वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव जी यह सत्ता विष्णु भगवान जी को सौंप कर कैलाश पर्वत पर तपस्या के लिए लौट जाते हैं। जब सत्ता भगवान विष्णु जी के पास आती है तो संसार के कार्य शुरू हो जाते है। इसी दिन को वैकुंठ चतुर्दशी या हरि-हर मिलन कहते हैं।
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