खुशहाल और सुखी जीवन लिए वास्तु
वास्तु शास्त्र एक प्राचीन विज्ञान है, लेकिन यह वर्तमान समय में भी उसी रुप प्रचलित है जैसा कि यह पूर्व में रही थी. इस समय पर स्थान की कमी के चलते ही वास्तु शास्त्र में भी कई चेंज दिखाई दिए गए हैं जो समय की सार्थकता के साथ सार्थक भी रहे हैं. इस समय पर घर खरीदार और डेवलपर दोनों संपत्ति खरीदते और बनाते हैं और वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों पर भरोसा करते हुए ही घर की नींव रखते हैं. क्या वास्तु शास्त्र के सिद्धांत घर की शांति और खुशहाली से जुड़े हो सकते हैं इस प्रश्न का उत्तर हां में ही निहित है. प्रकृति के पांच तत्वों पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश(अंतरिक्ष) के बीच उचित संतुलन रखने वाले वास्तु स्थान को शांति को प्राप्त करने के लिए बहुत अच्छा माना जाता है और वास्तु शास्त्र में विशिष्ट नियम बनाकर इस समन्वय को सुनिश्चित किया जाता है.
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वास्तु शास्त्र का विज्ञान व्यक्ति को एक ऐसे वातावरण में रहने में सक्षम बनाता है जो शांति-प्रेम तथा संतुष्टि लाने के लिए उसके अनुरूप हो सके. वास्तु के सिद्धांतों का पालन इस तरह से किया जाता है कि यह चारों ओर की हर चीज के साथ सामंजस्य बिठाता है और सभी अच्छे शुभ ज्ञान और खुशी को प्राप्त कर पाते हैं और यह तथ्य भी एकदम उचित है कि वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करने वाले स्थान में शांति, समृद्धि और सद्भाव बना रहता है और वास्तु शास्त्र इसमें वृद्धि में सहायक भी बनता है.
वास्तु शास्त्र का घर की समृद्धि से संबंध
जब हमारा पर्यावरण प्रकृति के अनुरूप होता है तो हमें बहुत अच्छा लगता है लेकिन जैसे ही संतुलन असंतुलित होता है, यह व्यावहारिक रूप से हर तरह से व्यक्ति को और आभामंडल को प्रभावित करता है. कोई स्थान शांति ओर प्रेम में तभी हो सकता है जब उस स्थान की ऊर्जा में सकारात्मकता का प्रवाह उचित रुप से हो रहा हो. स्थान का वास्तु हमारे स्वभाव के अनुकूल हो तब हम अपने जीवन में प्रगति को उचित रुप से कर पाते हैं. इस प्रकार वास्तु पर्यावरण के चारों ओर ऊर्जाओं को संतुलित करने के बारे में है जिसके द्वारा निश्चित रूप से एक नया सामंजस्यपूर्ण स्थान मिलता है जो हमें अच्छा स्वास्थ्य, धन और शांति प्रदान करता है.
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वास्तु शास्त्र घर और वातावरण में ऊर्जा का संतुलन बनाए रखने के लिए कुछ वास्तु शास्त्र उपयोगी टिप्स बताता है जिन पर विचार किया जा सकता है -
1. घर में कपूर जलाना एक बहुत ही अच्छा वास्तु उपाय रहा है. नकारात्मकता को दूर करने के लिए इसका धुंआ चारों ओर फैलाना उपयोगी होता है.
2. उत्तर-पूर्व में ओवर-हेड टैंक से बचें, जबकि यहां पानी के नीचे की टंकी बेहतर होती है.
3. माता-पिता और बच्चों के रिश्ते को खुश रखने के लिए मालिक या घर के मुखिया को दक्षिण-पश्चिम का कोना देना चाहिए. इस स्थान पर मुखिया का होना नेतृत्व करने का मजबूत गुण प्रदान करता है.
4. अपने घर को अव्यवस्था से मुक्त रखना चाहिए जितना संभव हो साफ सफाई और अपने स्थान को हल्के रंगों से रंगना चाहिए.
5. उत्तर-पूर्व में पानी का कोई स्रोत रखें जबकि इस कोने में रुके हुए पानी से बहना बेहतर है.
6. प्रकृति के साथ संतुलन बनाने के लिए स्वयं को भीतर सकारात्मकता को विकसित करना अत्यंत आवश्यक होता है. स्वयं को यदि हम संतुलित कर पाते हैं आध्यात्मिक या मेडिटेशन द्वारा तब भी यह स्थिति वास्तु के लिए अत्यंत उपयोगी एवं सहायक बनती है.
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