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पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने ही सबसे पहले उनकी स्मृति में केशव देव मंदिर की स्थापना करवाई थी।
इसके पश्चात यह मंदिर 80-57 ईसापुर में इसको बनवाया गया था इस संबंध में महाछत्रप सौदास के वक्त की एक शिलालेख से पता चलता है कि किसी वसु नामक व्यक्ति ने इस मंदिर को बनवाया था।
काल के थपेड़ों ने मंदिर की खूबसूरती व स्थिति को एकदम खराब बना दिया था। करीब 400 साल पश्चात गुप्त सम्राट विक्रमादित्य उस स्थान पर भव्य मंदिर का निर्माण करवाया। इसका वर्णन भारत यात्रा पर आए चीनी यात्री ह्वेनसांग और फाह्यान ने भी किया था।
1017-1018 ईसवी में महमूद गजनवी ने भारत के मथुरा जिले के समस्त मंदिरों को तोड़वा दिया था। लेकिन उसके लौटते ही यह मंदिर फिर से बन गए।
इसके पश्चात इसे राजा विजयपाल देव जी के शासनकाल में 1150 ईसवी में जज्ज नामक किसी मनुष्य ने बनवाया था।
यह मंदिर पहले की तुलना में और भी ज्यादा बड़ा व खूबसूरत था। जिसको सिकंदर लोदी ने इसे 16वीं शताब्दी के प्रारंभ में नष्ट करवा दिया था।
ओरछा की राजा वीर सिंह जूदेव बुंदेला ने फिर से एक भव्य और विशाल मंदिर बनवाया।इसके संबंधों में यह भी कहा जाता है कि यह इतना ऊंचा और बड़ा था कि यह आगरा जिले से भी दिखाई देता था।
इसके पश्चात मुस्लिम शासकों ने सन 1669 ईसवी में इस भव्य मंदिर को फिर से नष्ट कर दिया। और इसकी भवन सामग्री से जन्मभूमि के आधे हिस्से पर एक ईदगाह बनवा दी। जो कि आज भी यह विद्यमान है।
इस मस्जिद के पीछे ही पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने भव्य मंदिर की स्थापना की।
बताया जाता है कि अब जन्मभूमि के आधे हिस्से पर मस्जिद मौजूद है और आधे हिस्से पर भगवान श्री कृष्ण जी का मंदिर है।
भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा की यात्रा करने के लिए उचित साधन
- सड़क यात्रा - मथुरा जिले में भारत के किसी स्थान से आप उस वक्त स्वागत पहुंच सकते हैं आगरा जिले से यह मात्र 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- रेल यात्रा - मथुरा जिले की रेलवे स्टेशन बहुत ही ज्यादा व्यस्त जंक्शन में से एक है और दिल्ली से दक्षिण भारत हो या मुंबई जाने वाली सभी ट्रेनें मथुरा जिले से होकर ही गुजरती है।
- हवाई यात्रा - मथुरा जिले की सबसे नजदीक आगरा का हवाई अड्डा है जो कि वहां से सिर्फ 55 किलोमीटर दूर है।
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