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जानें श्री कृष्ण और उनकी जन्मभूमि से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें

My jyotish expert Updated 26 Aug 2021 08:35 PM IST
श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2021
श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2021 - फोटो : Google
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हिंदू धर्म में श्री कृष्ण भगवान है। वह विष्णु भगवान के आठवें अवतार माने गए हैं। श्याम, गोपाल, केशव, कन्हैया, द्वारकेश , वासुदेव, द्वारिकाधीश इत्यादि नामों से भी भगवान श्रीकृष्ण को जाना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ, निष्काम कर्मयोगी एवं देवी संपदाओं से सुसज्जित एक महान पुरुष थे। उनका द्वापर युग में जन्म हुआ था। उनको इस युग के उच्च व सर्वश्रेष्ठ पुरुष, युगावतार व युगपुरुष का स्थान दिया गया है। श्रीकृष्ण भगवान के समकालीन महर्षि वेदव्यास से द्वारा लिखी श्रीमद्भागवत गीता और महाभारत में भगवान श्री कृष्ण के चरित्र का विस्तृत रूप से वर्णन है। श्रीमद्भागवत गीता में श्री कृष्ण एवं अर्जुन का संवाद है। जो की यह ग्रंथ आज भी पूरे विश्व में सबसे लोकप्रिय हैं।  इस उपदेश के लिए भगवान श्री कृष्ण को जगतगुरु का भी सम्मान दिया जाता है।भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म मथुरा जिला के एक कारागार में हुआ था। मथुरा उत्तर प्रदेश के 1 जिले में यमुना नदी के तट पर बसा एक खूबसूरत शहर है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि के रोहिणी नक्षत्र के दिन रात्रि के बारह बजे हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण जी का जन्म हर साल जन्माष्टमी के त्योहार के रूप में हर्सोउल्लास से मनाया जाता है। आइए जानते हैं मथुरा की जन्मभूमि मंदिर की कुछ अनसुनी 10 बातें

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पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने ही सबसे पहले उनकी स्मृति में केशव देव मंदिर की स्थापना करवाई थी।

इसके पश्चात यह मंदिर 80-57 ईसापुर में इसको बनवाया गया था इस संबंध में महाछत्रप सौदास के वक्त की एक शिलालेख से पता चलता है कि किसी वसु नामक व्यक्ति ने इस मंदिर को बनवाया था।

काल के थपेड़ों ने मंदिर की खूबसूरती व स्थिति को एकदम खराब बना दिया था।  करीब 400 साल पश्चात गुप्त सम्राट विक्रमादित्य उस स्थान पर भव्य मंदिर का निर्माण करवाया। इसका वर्णन भारत यात्रा पर आए चीनी यात्री  ह्वेनसांग और फाह्यान ने भी किया था।

1017-1018 ईसवी में महमूद गजनवी ने भारत के मथुरा जिले के समस्त मंदिरों को तोड़वा दिया था। लेकिन उसके लौटते ही यह मंदिर फिर से बन गए।

इसके पश्चात इसे राजा विजयपाल देव जी के शासनकाल में 1150 ईसवी में जज्ज नामक किसी मनुष्य ने बनवाया था।

यह मंदिर पहले की तुलना में और भी ज्यादा बड़ा व खूबसूरत था। जिसको  सिकंदर लोदी ने इसे 16वीं शताब्दी के प्रारंभ में नष्ट करवा दिया था।

ओरछा की राजा वीर सिंह जूदेव बुंदेला ने फिर से एक भव्य और विशाल मंदिर बनवाया।इसके संबंधों में यह भी कहा जाता है कि यह इतना ऊंचा और बड़ा था कि यह आगरा जिले से भी दिखाई देता था।

इसके पश्चात मुस्लिम शासकों ने सन 1669 ईसवी में इस भव्य मंदिर को फिर से नष्ट कर दिया। और इसकी भवन सामग्री से जन्मभूमि के आधे हिस्से पर एक ईदगाह बनवा दी। जो कि आज भी यह विद्यमान है।

इस मस्जिद के पीछे ही पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने भव्य मंदिर की स्थापना की।

बताया जाता है कि अब जन्मभूमि के आधे हिस्से पर मस्जिद मौजूद है और आधे हिस्से पर भगवान श्री कृष्ण जी का मंदिर है।


भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा की यात्रा करने के लिए उचित साधन
  • सड़क यात्रा - मथुरा जिले में भारत के किसी स्थान से आप उस वक्त स्वागत पहुंच सकते हैं आगरा जिले से यह मात्र 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
  • रेल यात्रा - मथुरा जिले की रेलवे स्टेशन बहुत ही ज्यादा व्यस्त जंक्शन में से एक है और दिल्ली से दक्षिण भारत हो या मुंबई जाने वाली सभी ट्रेनें मथुरा जिले से होकर ही गुजरती है।
  • हवाई यात्रा - मथुरा जिले की सबसे नजदीक आगरा का हवाई अड्डा है जो कि वहां से सिर्फ 55 किलोमीटर दूर है।
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