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तुलसी विवाह और देवठान एकादशी का संबंध एकादशी के दिन क्या करें और क्या ना करें

Myjyotish Expert Updated 24 Nov 2020 06:24 PM IST
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह - फोटो : Myjyotish
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हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत बेहद महत्वपूर्ण होता है। पूरे वर्ष में चौबीस एकादशी होती हैं। लेकिन अगर किसी वर्ष मलमास है तो इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। इन्हीं में से एक एकादशी होती है देवउठनी। हिन्दू धर्म में देवउठानी एकादशी  का बहुत महत्व होता है और इस दिन सभी प्रकार के मंगल कार्य किए जाते है और नए काम का आगमन किया जाता है |  

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह करने की परंपरा है | इस बार देवउठनी एकादशी 25 नवंबर , बुधवार के दिन पड़ रही है| देवउठनी एकादशी को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाया जाता है | देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा बहुत ही शुभ और फलदायी माना जाता है |  भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी तुलसी पूजन से जल्दी खुश होते है और अपनी कृपया अपने भक्तों पर बरसाते है |

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इसे देवउठनी एकादशी, देवोत्थान या देव प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन जगह-जगह तुलसी का विवाह किया जाता है। तुलसी विवाह का आयोजन ठीक वैसे ही होता है, जैसे वर-वधु का विवाह हिंदू रीति-रिवाज से किया जाता है। इस दिन तुलसी के पौधे का श्रृंगार दुल्हन की तरह किया जाता है और मंगल गीत गाए जाते हैं। तुलसी विवाह के माध्यम से यह दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है और इनका विवाह में कन्या दान करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है।

तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त


एकादशी तिथि: 25 नवंबर, दिन बुधवार
एकादशी तिथि आरंभ: 24 नवंबर की मध्यरात्रि 02 बजकर 43 मिनट
एकादशी तिथि का समापन: 26 नवंबर की सुबह 05 बजकर 11 मिनट पर समापन
द्वादशी तिथि: 26 नवंबर, सुबह 05 बजकर 11 मिनट से द्वादशी तिथि आरंभ
द्वादशी तिथि का समापन: 27 नवंबर, सुबह 07 बजकर 47 मिनट तक द्वादशी तक का समाप
पारण का समय: 26 नवंबर सुबह 10 बजे तक 

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