इस मंदिर का निर्माण काले पत्थरों से हुआ है इस मंदिर का स्थापत्य शैली भी अत्यंत अद्भुत है यह मंदिर गोदावरी नदी के किनारे स्थित है इस मंदिर को शिव का साक्षात रूप इसलिए माना जाता है क्योंकि यह ब्रम्हगिरी नामक पहाड़ी पर स्थित है और इसी पहाड़ी से पवित्र नदी गोदावरी का उद्गम हुआ है
पौराणिक कथा:
प्राचीन समय में ब्रह्मगिरी पर्वत पर देवी अहिल्या के पति ऋषि गौतम रहते थे और तपस्या करते थे। क्षेत्र में कई ऐसे ऋषि थे जो गौतम ऋषि से ईर्ष्या करते थे और उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश करते रहते थे। एक बार सभी ऋषियों ने गौतम ऋषि पर गौहत्या का आरोप लगा दिया। सभी ने कहा कि इस हत्या के पाप के प्रायश्चित में देवी गंगा को यहां लेकर आना होगा। तब गौतम ऋषि ने शिवलिंग की स्थापना करके पूजा शुरू कर दी। ऋषि की भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी और माता पार्वती वहां प्रकट हुए। भगवान ने वरदान मांगने को कहा। तब ऋषि गौतम से शिवजी से देवी गंगा को उस स्थान पर भेजने का वरदान मांगा। देवी गंगा ने कहा कि यदि शिवजी भी इस स्थान पर रहेंगे, तभी वह भी यहां रहेगी। गंगा के ऐसा कहने पर शिवजी वहां त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप वास करने को तैयार हो गए और गंगा नदी गौतमी के रूप में वहां बहने लगी। गौतमी नदी का एक नाम गोदवरी भी है।
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विशेष नियम त्र्यंबकेश्वर मंदिर के:
जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि इस ज्योतिर्लिंग में तीन देवता यानी कि ब्रह्मा विष्णु और महेश का वाश है
त्र्यंबकेश्वर शिवलिंग की एक विशेषता यह भी है कि यह आकार में काफी छोटा है जिसकी वजह से भक्तजनों को प्रवेश नहीं दिया जाता दर्शन के लिए केवल उन्हें शिवलिंग के ऊपर एक शीशा लगा हुआ है जिससे भगवान के दर्शन करने होते हैं मंदिर के समीप एक कुंड बना हुआ है और लोगों का मानना यह भी है कि कुंड में स्नान करने के बाद अगर कोई शिवलिंग के दर्शन करें तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है
यहाँ का एक प्रमुख नियम यह भी है की गर्भ ग्रह में प्रवेश के लिए पुरुषों को ऊपर किसी भी प्रकार का वस्त्र पहनने की मनाई है इसके अलावा उन्हें किसी भी प्रकार के चमड़े की वस्तु को अंदर ले जाना भी वर्जित है
समय सारणी:
दर्शन का समय 5:30 से 9:00 तक
5:30 बजे मंगल आरती
7:00 से 9:00 तक विशेष पूजा:रुद्राभिषेक, मृत्युंजय मंत्र और लघुरुद्रभिषेक
1:00 PM: मध्याह्न आरती