पुराणों में मान्यता है की संगम तट पर स्नान के पश्चात् तिलक लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। माथे पर तिलक लगाने का आध्यात्मिक महत्व भी है। हमारे शरीर में सात सूक्ष्म ऊर्जा केंद्र होते हैं जिसे चक्र भी कहा जाता है, यह अपार शक्ति का भंडार होता है। माथे के बीच जहाँ तिलक लगाते हैं वह आज्ञा चक्र कहलाता है। यह चक्र शरीर का सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है। इस स्थान पर नाड़ियां आकर मिलती हैं जिसे मस्तिष्क त्रिवेणी या संगम भी कहा जाता है।
हिंदू धर्म में माथे पर तिलक लगाने का विशेष महत्व है, पूजा-पाठ, त्यौहार यहां तक की शादी और जन्मदिवस जैसे आयोजन में भी तिलक लगाया जाता है। शास्त्रों में श्वेत चंदन, लाल चंदन, कुमकुम, विल्वपत्र, भस्म आदि से तिलक लगाना शुभ माना गया है। कुमकुम के तिलक के साथ चावल का प्रयोग भी किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, चावल को हविष्य यानि हवन में देवताओं को चढ़ाया जाने वाला शुद्ध अन्न माना जाता है।
ऐसे में कच्चे चावल का तिलक में प्रयोग सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला होता है। इससे हमारे आसपास की नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित होती है। मस्तिष्क तिलक द्वारा प्रदान शीतलता से सदैव शांत और उर्जित रहता है। व्यक्ति के सोचने समझने की शक्ति में वृद्धि होती है। वह शांतिपूर्वक समस्याओं का हल खोज लेता है तथा विपदाओं से घबराता नहीं है।
यह भी पढ़े :-
भगवान सत्यनारायण की पूजा से पूर्ण हो जाती है सभी मनोकामनाएं
चँद्रमा: प्रभाव व उपचार
भगवान की पूजा में क्यों आवश्यक है आरती