अगर पश्चिम बंगाल की बात की जाए तो यहां काली माता की भक्ति पूरे देश में प्रसिद्ध है। यहां मां काली के विभिन्न स्वरूपों की पूजा होती है। मां काली के मंदिरों में कई प्रकार से पूजा करने का विधान है। लेकिन इसी बीच पश्चिम बंगाल में चीनी काली मां का मंदिर है जहां चीनी भक्त मां काली की पूजा करते है। यह मंदिर कोलकता से करीब 12 किमी. दूर टांगा शहर में स्थित है। यह स्थान चाइना टाउन के नाम से काफी प्रसिद्ध है। वैसे इस जगह का ओरिजनल नाम टांगरा है। यहां ज्यादातर हक्का चाइनीज फैमिली रहती हैं। यह चाइनीज टेनरीज का काम करते हैं। इस कसबे में 350 टेनरीज हैं, जो चाइनीज लोगों द्वारा ही चलाई जाती हैं।
60 साल पूराना है यह मंदिर:
ऐसा कहा जाता है कि करीब 60 साल पहले यहां काली मां का कोई मंदिर नहीं था। ऐसा माना जाता है कि किसी भक्त ने दो काले पत्थरों पर सिंदूर लगाकर पेड़ के नीचे रखकर उसकी पूजा की थी। लेकिन 12 साल पहले इस जगह पर मंदिर का निर्माण कर वहां मां काली की दो प्रतिमाओं को स्थापित किया गया सबसे दिलचस्प बात यह है कि बंगालियों के साथ-साथ चीनी लोग भी यहां रोजाना प्रार्थना करने आते हैं।
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मंदिर का आखिर क्या है रहस्य:
इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि एक चीनी दंपति के 10 साल के बेटे की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी। काफी कोशिश करने के बाद भी स्वास्थ ठीक नहीं हो रहा था। किसी को भी उसकी बीमारी का कारण समझ नहीं आ रहा था। उसके बाद लडके का परिवार पेड़ के नीचे स्थित माता की पूजा करने लगे। लगातार पूजा करने के बाद लड़के की स्वास्थ में सुधार आ गया। जिसके बाद चीनी लोगों को देवी शक्तियों पर विश्वास हो गया। कुछ समय बाद वहां चीनी लोगों ने मंदिर का निर्माण करवाया। जिसे चाइनिज काली मां के मंदिर से जाना गया।
भक्तों को मिलता है चाइनिज प्रसाद
जहां भारत में हर तरफ लड्डू और माखन-मिश्री का भोग लगता है वहीं इस मंदिर में चाइनिज खाने यानि चाउमिन और मोमस का भोग लगाते है। भले ही मंदिर में चाइनिज भोग लगता हो लेकिन इस मंदिर में हिंदू रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है। मंदिर में सभी भक्त बाहर जूता-चप्पल उतार कर जाते है। सुबह-सुबह यहां बड़ी धूम-धाम से आरती की जाती है। रोजाना यहां मां काली को फूल, मिठाई और प्रसाद अर्पित किया जाता है।
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