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Surya Narayan Puja: जानें सूर्य देव का कैसे करें पूजन, और क्या है इसके लाभ

Myjyotish Expert Updated 19 Sep 2020 01:53 PM IST
सूर्य देव पूजन
सूर्य देव पूजन - फोटो : Myjyotish
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सूर्योपनिषद की माने तो सारे जगत का पालन सूर्य ही करते हैं। इसी कारण सूर्य का मनुष्य जीवन में बहुत महत्व हैं। वैदिक काल से ही सूर्योपासना की जा रही हैं। जीवन में सुख, धन और बैरियों से सुरक्षा के लिए सूर्यनारायण की पूजा होती आ रही है।

बहुत समय पहले एक बुढ़िया थी वो बहुत गरीब थी पर सूर्यदेव की भक्त थी।  वह प्रातः काल उठकर रोज़ सूर्यदेव की पूजा करती थी। पूजा से पहले वह अपना घर गाय के गोबर से लिपति थी , उसके पास गाय नहीं थी।  वह अपनी पड़ोसन के घर से गाय का गोबर लेकर अपना घर लिपति थी। सूर्य देव बुढ़िया से प्रसन्न हो गए और उसे धनवान होने का आशीर्वाद प्रदान किया। यह देखकर पड़ोसन जलने लगी , उसने अपनी गाय आंगन के बजाय अंदर घर में बांधना शुरू कर दिया, जिससे बुढ़िया गोबर लेने में सक्षम नहीं हो पाती थी ।

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गोबर न मिलने के कारण बुढ़िया का मन बहुत उदास था। उस दिन वह बिना भोजन किए सो गयी साथ ही पूजन भी नहीं किया। तब उस रात उसके सपने में सूर्य देव ने दर्शन दिए और आज पूजा न करने का कारण पूछा।  तब बुढ़िया ने उन्हें अपनी व्यथा बताई जिसे सुनकर भगवान सूर्य ने उन्हें एक गाय और एक बछड़ा भेट किया । वह सुबह उठी तो गाय और बछडा उसके आंगन में बंधे हुए थे। अब पड़ोसन और जलने लगी , उसने एक दिन सुबह देखा कि वह गाय सोने का गोबर करती हैं।

पड़ोसन रोज़ बुढ़िया के उठने से पहले वह गोबर उठा कर अपने घर ले जाती । यह देख सूर्यदेव क्रोधित हो गए और एक दिन शाम को उन्होंने आंधी चला दी जिससे बुढ़िया ने गाय घर के अन्दर बाँध ली । इससे निराश पड़ोसन ने इसकी शिकायत राजा से की । राजा बुढ़िया की गाय महल में ले आया और उस गाय ने गोबर से सारे महल में बदबू कर दी ।

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राजा को सूर्यदेव ने दर्शन दिए और कहा मूर्ख यह गाय सिर्फ बुढ़िया के लिए हैं । राजा ने भयभीत होकर गाय बुढ़िया को वापस कर दी और उससे माफ़ी मांगी साथ ही पड़ोसन को दंड भी दिया। तभी से सभी लोग पूर्ण विधि - विधान से रविवार के दिन सूर्यनारायण भगवान की पूजा करते है। साथ ही सूर्य देव को जल भी अर्पण करतें है। इससे उनकी  परेशानियां दूर हो जाती है। 

इस कथा के माध्यम से हम सभी को यह सिखना चाहिए की किसी भी चीज़ का लालच केवल व्यक्ति को नुकसान ही पहुँचता है। निस्वार्थ भाव से की गई पूजा - अर्चना से भगवान सदैव प्रसन्न होते है। साथ ही अपने भक्तों की समस्त मुसीबतों से रक्षा करते है। 

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