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मनुष्य जीवन शैली के लिए यह वर्ष बहुत ही कठिन प्रमाणित हुआ है। वैसे तो वर्ष में बहुत से ग्रहण लगतें है परन्तु इस तरह का ग्रहण थोड़ा भिन्न माना जाता है। इस ग्रहण को "अन्नूलार एक्लिप्स" के नाम से जाना जाता है। इस ग्रहण के समय चन्द्रमा द्वारा सूर्य को पूर्ण रूप से ढक लिया जाता है , जिसके पश्चात बन रहे , गोलाकार को रिंग के रूप में देश में देखा जाता है। इसलिए इस ग्रहण का महत्व ज्योतिष एवं वैज्ञानिक क्षेत्र में बहुत ही अहम माना जाता है।
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मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण के समय मंत्रों का जाप करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इससे प्रदान होने वाले फल बहुत ही कल्याणकारी होते है। वैसे तो ग्रहण काल में पूजा - पाठ करने की मनाई होती है ,परन्तु ग्रहण काल में मंत्रों के जाप का अपना एक विशेष महत्व होता है।
सूर्य ग्रहण के अवसर पर कराएं सामूहिक महामृत्युंजय मंत्रों का जाप - महामृत्युंजय मंदिर , वाराणसी
इस दौरान दान - दक्षिणा का भी बहुत महत्व माना जाता है। सूर्य ग्रहण के बाद दान से भक्तों को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। उनके घर - परिवार में कभी भी धन की कमी नहीं होती। गंभीर से गंभीर बीमारी भी उनका कुछ बिगाड़ नहीं पाती है। ग्रहण में आवश्यक है की कोई भी व्यक्ति नग्न आखों से सूर्य की और न देखें , इससे उनकी आखों को शांति पहुँचती है। ग्रहण के समय खाना - पीना भी नहीं चाहिए।
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