सूर्य ग्रहण तब लगता है , जब चन्द्रमा , सूर्य और पृथ्वी के मध्य से होकर गुजरता है , तो चन्द्रमा के कारण सूर्य आंशिक या पूर्ण रूप से ढक जाता है , तब सूर्य ग्रहण की अनुभूति होती है। ग्रहण का विभिन्न राशियों पर अलग - अलग रूप से प्रभाव पड़ता है। इस ग्रहण में बनने वाले संयोग 900 साल बाद बन रहे है , जिसके कारण यह बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रहण माना जाएगा। तथा इसके प्रभाव भी बहुत असरदार होंगे ।
माय ज्योतिष के अनुभवी ज्योतिषाचार्यों द्वारा पाएं जीवन से जुड़ी विभिन्न परेशानियों का सटीक निवारण
इस बार यह सूर्य ग्रहण मिथुन राशि में लगेगा जो सूर्य , बुध और राहु के साथ भी युति करेगा। क्यूंकि यह ग्रहण मिथुन राशि में लगने वाला है , इस राशि के जातकों को अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है। इन पर ग्रहण का प्रभाव भी बाकियों से अधिक होगा। सूर्य ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचने के लिए जातकों को सूर्य देव की उपासना के साथ - साथ , महामृत्युंजय का जाप अवश्य करना चाहिए।
जाने अपनी समस्याओं से जुड़ें समाधान भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों के माध्यम से
इससे ग्रहण के बुरे प्रभाव कम होतें है और व्यक्ति को कोई नुकसान भी नहीं पहुँचता है। सूतक काल में बहुत सी सावधानियां रखना बहुत आवश्यक है। इस समय खाने - पीने की मनाही होती है , कथन के अनुसार इस समय खाने - पीने की चीज़ों में तुलसी का पत्ता दाल दिया जाता है। जिससे ग्रहण की अशुद्धि कोई नुकसान नहीं करती है।
सूर्य ग्रहण के अवसर पर कराएं सामूहिक महामृत्युंजय मंत्रों का जाप - महामृत्युंजय मंदिर , वाराणसी
ग्रहण के समय सूर्य को कभी नग्न आखों से नहीं देखना चाहिए , इससे आँखों को क्षति पहुँचती है। इस ग्रहण में गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होगी। ग्रहण के समय पूजा - पाठ नहीं किया जाता है , तथा मंदिरों के पट को भी बंद रखा जाता है। परन्तु इस ग्रहण के बाद स्नान एवं दान और मंत्रों के जाप का विशेष महत्व होगा साथ ही वह बहुत फलदायी भी माना जाएगा।
यह भी पढ़े :-
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य का महत्व
क्या होता है मारकेश ? और जन्म कुंडली में क्यों है इसका अहम स्थान ?
सूर्य ग्रहण 2020 : जाने सूर्य ग्रहण की तिथि, महत्व और इसके के बारे में सब कुछ