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Skanda Sashti 2023: कब रखा जाएगा स्कंद षष्ठी का व्रत, जानें भगवान कार्तिकेय की पूजा विधि और महत्व

my jyotish expert Updated 18 May 2023 05:58 PM IST
Skanda Sashti 2023: कब रखा जाएगा स्कंद षष्ठी का व्रत, जानें भगवान कार्तिकेय की पूजा विधि और महत्व
Skanda Sashti 2023: कब रखा जाएगा स्कंद षष्ठी का व्रत, जानें भगवान कार्तिकेय की पूजा विधि और महत्व - फोटो : google
हिंदू मान्यता के अनुसार प्रत्येक माह के शुक्लपक्ष में पड़ने वाली स्कंद षष्ठी तिथि पर विधि-विधान से भगवान कार्तिकेय के लिए व्रत और पूजन करने पर साधक को मनचाहा फल प्राप्त होता है. मान्यता है कि इसी पावन तिथि पर भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था. यही कारण है कि लोग इस तिथि पर उनकी विधि-विधान से पूजा करते हैं. पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि स्कंद षष्ठी कहलाती है. मई महीने में यह पावन तिथि 25 मई 2023 को पड़ेगी. 

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भगवान कार्तिकेय जी की पूजा और व्रत उत्तर भारत के मुकाबले दक्षिण भारत में ज्यादा रखा जाता है. दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय को मुरुगन के नाम से पूजा जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान मुरुगन देवताओं के सेनापति हैं, जो अपने भक्तों को बड़े से बड़े संकट से पलक झपकते बाहर निकाल लाते हैं.

स्कंद षष्ठी पर कैसे करें पूजा
स्कंद षष्ठी तिथि पर भगवान कार्तिकेय की पूजा करने के लिए सुबह सूर्यादय से पहले उठें और स्नान-ध्यान करने के बाद भगवान कार्तिकेय के बाल स्वरूप की फोटो या मूर्ति को जल से पवित्र करने के बाद उन्हें पुष्प, चंदन, धूप, दीप, फल, मिष्ठान, वस्त्र, आदि चढ़ाएं और उसके बाद स्कंद षष्ठी व्रत की कथा पढ़ें. भगवान कार्तिकेय के साथ माता पार्वती और महादेव की पूजा जरूर करें. पूजा के अंत में भगवान कार्तिकेय की आरती करें और पूजा में भूलचूक की माफी मांगते हुए अपनी मनोकामना कहें.

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स्कंद षष्ठी की पूजा का महाउपाय
हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान कार्तिकेय को मोरपंख बहुत पसंद है क्योंकि मोर उनकी सवारी है. ऐसे में स्कंद षष्ठी की पूजा में साधक को विशेष रूप से भगवान कार्तिकेय को मोर पंख अर्पित करना चाहिए.
 
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