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Simha Sankranti 2021: सिंह संक्रांति कब है? जानिए तिथि और शुभ मुहूर्त

My jyotish expert Updated 11 Aug 2021 04:46 PM IST
सिंह संक्रांति 2021
सिंह संक्रांति 2021 - फोटो : Google
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Simha Sankranti 2021 Date Kab Hai : सिंह संक्रांति का अर्थ और महत्व - सिंह संक्रांति शब्द दो शब्दों के मेल से बना है – सिंह और संक्रांति। सिंह को सिन्हा या सिंह के रूप में भी लिखा जाता है, जिसे सिंह के रूप में भी पहचानते है जो एक ज्योतिषीय राशि है जिसे सिंह द्वारा दर्शाया गया है।

जब सूर्य तरफ से सिंह राशि में प्रवेश करता है तो इस दिन सूर्य संक्रांति पर मनाया जाता है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाने वाली स्थिति को सूर्य क्रांति कहते हैं सिंह संक्रांति मतलब सूर्य चंद्रमा की राशि कर्क से निकलकर स्वयं की राशि सिंह में प्रवेश करता है सिंह संक्रांति पर सूर्य अपनी राशि में आने के कारण बली होते हैं बली होने के कारण उनका प्रभाव और बढ़ जाता है सूर्य का प्रभाव बढ़ने से रोक खत्म होने लगते हैं और आत्मविश्वास बढ़ने लगता है सिंह राशि में स्थित सिंह की पूजा विशेष फलदाई मानी जाती है साल 2021 में सिंह संक्रांति 17 अगस्त को है
सिंह संक्रांति के दिन भगवान विष्णु, सूर्य देव और भगवान नरसिंह की पूजा की जाती है मान्यता है कि इस दिन घी का सेवन करना लाभकारी होता है मान्यता है कि सूर्य संक्रांति के दिन घी का सेवन करने से ऊर्जा तेज और याददाश्त और बुद्धि बढ़ती है पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य संक्रांति के दिन की का सेवन ना करने वाले अगले जन्म घोन्गे के रूप में जन्म लेते हैं इसके अलावा कहा जाता है कि जी के सेवन से राहु और केतु के बुरे प्रभाव से बचा जा सकता है सक्रांति के दिन पूजा करते समय यह ध्यान रखें कि आपके पास शुद्ध गाय का दूध और साथ में गंगाजल अवश्य हो। पूजा शुरू करने से पहले हमें पुष्पा और कुमकुम और चावल और अन्य पूजा सामग्री अपने पास अवश्य रखें। हमें सूर्य देव की मूर्ति की पूजा पूरे विधि-विधान से करनी चाहिए और साथ में पूजा में जल अर्पित करने के लिए तांबे के लोटे का प्रयोग करना चाहिए सूर्य देव के मंत्र ओम सूर्य देवाय नमः के मंत्र का जाप करते हैं इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। आज के दिन जरूरतमंद  व्यक्ति या ब्राह्मण को खाने पीने की वस्तुएं जैसे दाल, चावल, गेहूं का दान करना चाहिए। तथा आप चाहे तो वस्त्र भी दान कर सकते हैं।

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=>पुण्य काल का समय
05:51 AM  से 12:25 PM
अवधि:- 6 घंटे 34 मिनट
=>महा पुण्य काल का समय
05: 51 से 8:03
अवधि:- 2 घंटे 11 मिनट

सिंह संक्रांति का अनुष्ठान:
•             सिंह संक्रांति के अवसर पर  विष्णु, सूर्य देव और भगवान नरसिंह स्वामी की पूजा पूरी विधि विधान से करते हैं।
 
•             इस दिन नारीकेला (नारियल) अभिषेक किया जाता है और लोग इसे पवित्र स्नान का हिस्सा मानते हैं। नारियाल अभिषेक के लिए लोग ताजे नारियल पानी का ही प्रयोग करते हैं।
 
•             भगवान विष्णुु की मूर्ति के संबंध में मनाई जाने वाली हूविना पूजा लगातार एक महीने तक पूरी विधि से की जाती है जब तक कि सूर्य कन्या राशि (टुकड़े) में नहीं आ जाता।
 
•             सिंह संक्रांति के मौके पर, देवताओं को पुष्प, फल और विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ अर्पित की जाती हैं और आशीर्वाद लेने के लिए विशिष्ट मंत्रों का जाप किया जाता है।

इन राशियों के लोग होते हैं बहुत ही बुद्धिमान और होशियार
 
सिंह संक्रांति का महत्व –
सिंह संक्रांति के महत्व को ज्योतिष और धार्मिक दृष्टि से सभी ने उचित ठहराया है। इसलिए, हिंदू, विशेष रूप से ब्राह्मण, इस त्योहार को एक महत्वपूर्ण हिंदू घटना मानते हैं। चाहे ह
यह त्योहार मुख्य रूप से भारत के दक्षिणी राज्यों में मनाया जाता है, लेकिन यह उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में भी भव्य रूप से मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि चंद राजवंश के शासनकाल के दौरान, शिल्पकार सिंह संक्रांति के अवसर पर अपनी रचनात्मकता, उत्पादों का प्रदर्शन करते थे। उन्हें उनकी रचनात्मकता, प्रतिभा और कठीन परिश्रम के लिए राजा द्वारा उचित रूप से उपहार दिया जाता था। आम लोग राजा के इस कृत्य की सराहना करने लगे और उत्सव का हिस्सा बन गए।

अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
सूर्य सबसे खूबसूरत जो दिखता है वह सिंह सक्रांति से लेकर कन्या सक्रांति के बीच दिखता है उसका मूलभूत कारण है सूर्य अपनी राशि में आ रहा है अर्थात सूर्य कर्क राशि चंद्रमा की राशि ठंडा होकर अब गर्मी और तपिश लेकर फिर से खुद की राशि में आ रहा है क्योंकि बात पर पद के महीने में सूर्य बादलों के पीछे लुका छुपी खेलता है इसी कारण सिंह सक्रांति वह विशिष्ट हो जाती है और इस सक्रांति का एक नाम और भी है और वह हैं घी सक्रांति । और इसका एक और नाम भी है ओल्गा या ओल्गी। यह पहाड़ी त्यौहार है और इस पर वर्षा के बाद में जब गाय का चारा और बिल फसलें बिल्कुल ऊपर उड़ जाते हैं और एक दम ललेहारही होती हैं उस समय पर इनकी बालियों को लोग भगवान विष्णु को हरि और हर को यानी कि  शिवलिंग पर चढ़ा कर अपने घरों के ऊपर टांग देते हैं इसी कारण से ओल्गा या ओल्गी कहा जाता है यह संपूर्ण भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में मनाया जाता है लेकिन यह महीना इतना महत्वपूर्ण क्यों है क्योंकि सूर्य मूलतः अपनी राशि में प्रवेश करेगा अर्थात सिंह राशि में प्रवेश करेगा और सूर्य मेष के बाद सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किसी राशि में देखते हैं तो सिंह राशि में देता है और यह कहते हैं कि इस महीने में शेर दिल बच्चे पैदा होते हैं इसका कारण क्योंकि सिंह का अर्थ शेर ही है और सिंह सक्रांति के बाद का जो महीना है और यह सर्वश्रेष्ठ है राजनीति के कार्यों के लिए तथा यह सर्वश्रेष्ठ है उन लोगों के लिए जो सेना में हैं और सरकारी नौकरी में है
 
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