हिंदू धर्मग्रंथों और शास्त्रों के अनुसार आयुर्वेद में तुलसी के पौधे का विशेष महत्व है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण पौधा है, बल्कि यह सेहत के लिए भी लाभकारी है। जिस घर में इस पौधे की स्थापना की जाती है, उस घर में आध्यात्मिक उन्नति के साथ ही सुख, शांति और समृद्धि आती है। यह घर को मौसमी बीमारियों, और प्रदूषण से बचाकर रखता है।
1. आयुर्वेद के अनुसार, तुलसी के नियमित सेवन से व्यक्ति के विचार में पवित्रता , मन में एकाग्रता और क्रोध पर नियंत्रण होने लगता है। साथ ही आलस्य भी दूर हो जाता है।
2.शरीर में दिन भर स्फूर्ति बनी रहती है।
3. इसके बारे में यहां तक कहा गया है की औषधीय गुणों की दृष्टि से यह संजीवनी बूटी के समान है।
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4.तुलसी को संस्कृत में हरिप्रिया कहा गया है अर्थात जो हरि यानी भगवान विष्णु को प्रिय है।
5.कहते हैं, औषधि के रूप में तुलसी की उत्पत्ति से भगवान विष्णु का संताप दूर हुआ था। इसलिए तुलसी को यह नाम दिया गया है।
6.धार्मिक मान्यता है कि तुलसी की पूजा-आराधना से व्यक्ति स्वस्थ और सुखी रहता है।
7.पौराणिक कथाओं के अनुसार देवों और दानवों द्वारा किए गए समुद्र-मंथन के समय जो अमृत धरती पर छलका, उसी से तुलसी की उत्पत्ति हुई थी।
8.यही कारण है कि इस पौधे के हर हिस्से में अमृत समान गुण हैं।
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9.हिन्दू धर्म में मान्यता है कि तुलसी के पौधे की 'जड़' में सभी तीर्थ, 'मध्य भाग (तना)' में सभी देवी-देवता और 'ऊपरी शाखाओं' में सभी वेद यानी चारों वेद स्थित हैं।
10.इसलिए इस मान्यता के अनुसार, तुलसी का प्रतिदिन दर्शन करना पापनाशक समझा जाता है और इसके पूजन को मोक्षदायक कहा गया है।
इनके अलावा भी तुलसी का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है मनुष्य के रोज़ मर्रा जीवन मे यह सिर्फ एक पौधा नही है अपितु इसके अलावा यह जीवन देने वाली बुटि है।
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