सूर्योपनिषद की माने तो सारे जगत का पालन सूर्य ही करते हैं। इसी कारण सूर्य को मनुष्य जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। वैदिक काल से ही सूर्योपासना की जा रही हैं। जीवन में सुख , धन और बैरियों से सुरक्षा के लिए सूर्यनारायण की पूजा करनी चाहिए । हिन्दू धर्म में आदिपंच देवों में से एक देव सूर्य देव को माना गया हैं। सूर्य देव कलयुग के एकमात्र प्रत्यक्ष देवता माने गए हैं।
इसलिए रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित किया गया हैं।सूर्यदेव का पौराणिक कथाओं में उल्लेख मिलता हैं कि ऋषि दुर्वासा के शाप से कष्ट रोग से पीड़ित कृष्ण पुत्र साम्ब ने भगवान सूर्य की आराधना कर भयंकर रोग से मुक्ति पाई थी । तभी से कहा जाता है कि सूर्योदय के समय सूर्य भगवान को अर्ध्य देने से रोग समाप्त होते हैं।
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रविवार के दिन नियमित रूप से सूर्यदेव की उपासना की जाए तो जातक अपने जीवन के अभाव से मुक्ति पा सकता हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य को ब्राह्मण का केंद्र बताया गया हैं। आदि काल से
सूर्यदेव की आराधना होती है इसलिए उन्हें आदिदेव के नाम से भी जाना जाता हैं।
ऐसे करें सूर्यदेव की पूजा
- सूर्योदय से पहले ही स्नान कर लें और फिर सूर्य देव को जल अर्पित करें ।
- सूर्यदेव के मंत्रों का जाप श्रद्धा पूर्वक करें।
- संध्या के समय फिर सूर्य को अर्ध्य देकर नमस्कार करें।
- नेत्र रोग से बचने से लिए नेत्रोपनिषद का प्रतिदिन सूर्योदय के समय पाठ करना चाहिए।
- भोजन सूर्य प्रकाश के रहते ही समय से करें और इस दिन नमकीन तेल से युक्त भोजन न करें ।
- रविवार के दिन एक बार फलहार जरूर करें।
- सूर्यदेव को सुबह तांबे के लोटें से जल अर्पित करना शुभ माना गया हैं।
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