इस पितृ पक्ष, 15 दिवसीय शक्ति समय में गया में अर्पित करें नित्य तर्पण, पितरों के आशीर्वाद से बदलेगी किस्मत : 20 सितम्बर - 6 अक्टूबर 2021
पितृदोष से किया होती है हानी
- संतान न होना, संतान हो तो विकलांग, मंदबुद्धि या चरित्रहीन अथवा होकर मर जाना।
- नौकरी, व्यवसाय में हानि, बरकत न हो।
- परिवार में ऐक्य न हो, अशांति हो।
- घर के सदस्यों में एक या अधिक लोगों का अस्वस्थ होना, इलाज करवाने पर ठीक न होना।
- घर के युवक-युवतियों का विवाह न होना या विवाह में विलंब होना।
- अपनों के द्वारा धोखा दिया जाना।
- दुर्घटनादि होना, उनकी पुनरावृत्ति होना।
- मांगलिक कार्यों में विघ्न होना।
- परिवार के सदस्यों में किसी को प्रेत-बाधा होना इत्यादि।
इस दोष को कैसे दूर करें।
- पूर्वजों का स्मरण करते हुए ऊं पितराय नम: मंत्र का 21 बार प्रतिदिन जपा करें।
- हर एकादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, रविवार और गुरुवार के दिन पितरों को जल दें और उनसे क्षमा याचना करें।
- पितृ पक्ष में तांबे के लोटे में काला तिल, जौ और लाल फूल मिला कर दक्षिण दिशा की ओर मुख कर पितरों को जल चढ़ाएं।
- सूर्य को अर्घ्य देते समय ऊं सूर्याय नम: मंत्र का 21 बार जाप करना चाहिए।
- . हर रोज एक ऐसे मंदिर में जाएं जहां पीपल का पेड़ लगा हो. उस पेड़ पर दूध-जल मिलाकर जल अर्पित करें. शाम के समय पीपल पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. इस उपाय से पितृ प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष का प्रभाव धीरे-धीरे खत्म होने लगता है.
- किसी परिवार में किसी व्यक्ति की असमय मृत्यु हो गई हो, खास तौर से एक्सीडेंट, गंभीर बीमारी, पानी में डूबने, आग से जलकर या आत्महत्या से तो अतृप्त आत्माएं मनुष्य या परिवार पर पितृ दोष का कारण बनती हैं। यदि इनकी मृत्यु के बाद विशेष पूजा कर दी जाए तो यह आत्माएं मुक्त हो जाती हैं और पितृदोष नहीं लगता।
- भगवान भोलेनाथ की तस्वीर या प्रतिमा के सामने बैठकर रोजान एक माला इस मंत्र का जाप करें और भगवान से पितरों की मुक्ति के लिए प्रार्थना करें. इससे पितृदोष शांत होता है और उसके प्रभाव धीरे-धीरे खत्म हो जाते हैं. मंत्र है -‘ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात’
- अमावस्या तिथि को भी पितरों के निमित्त काम किए जाते हैं. आप अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त पवित्रता पूर्वक भोजन बनाएं और चावल बूरा, घी और एक-एक रोटी गाय, कुत्ता, और कौआ को खिलाएं. पूर्वजों के नाम से दूध, चीनी, सफेद कपड़ा, दक्षिणा आदि किसी मंदिर में या जरूरतमंद को दें. इससे भी पितर प्रसन्न होते हैं और पितृदोष शांत होने लगता
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