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जानिए किसी की मृत्यु के बाद उसका श्राद्ध करना क्यों है ज़रूरी

My jyotish expert Updated 21 Sep 2021 06:43 PM IST
Significance of shradh after death
Significance of shradh after death - फोटो : google photo
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हिन्दू शास्त्रों के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की मौत हों जाए तो उसको पुरे विधिः विधान श्रद्धा करनी चाहिए इसे इस तरह समझें जैसे हम कुंडली देखते समय अक्सर ज्योतिषी कई लोगों को पितृदोष से पीड़ित बताते हैं, पर क्या आप जानते हैं आखिर ये पितृदोष होता क्या है। 13 सितंबर यानी शुक्रवार से पितृपक्ष शुरु हो गए हैं जो 28 सितंबर शनिवार आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या तक रहेंगे। श्राद्ध कर्म के दौरान लोग अपने पितरों के लिए पिंडदान, तर्पण, हवन और अन्न दान करते हैं। नवम पर जब सूर्य और राहू की युति हो रही हो तो यह माना जाता है कि पितृ दोष योग बन रहा है। शास्त्र के अनुसार सूर्य तथा राहू जिस भी भाव में बैठते है, उस भाव के सभी फल नष्ट हो जाते है। व्यक्ति की कुण्डली में एक ऎसा दोष है जो इन सब दु:खों को एक साथ देने की क्षमता रखता है, इस दोष को पितृ दोष के नाम से जाना जाता है।ऐसे में ये जानना बहुत जरूरी है कि आखिर पितृदोष लगता क्यों है. मान्यता है कि जो भी लोग जीवित रहते हुए अपने माता पिता का अनादर करते हैं, मृत्यु के बाद अपने पितरों की श्राद्ध नहीं करते, किसी निरअपराध की हत्या करते हैं, ऐसे लोगों के अगले जन्म में कुंडली में पितृदोष होता है. यदि आपके भी जीवन में ढेरों कष्ट एक साथ हैं, लंबे समय से आपके कोई काम नहीं बन पा रहे हैं तो आपको अपनी कुंडली को किसी ज्योतिष विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए और पितृदोष के कष्टों को दूर करने के लिए ये उपाय करने चाहिए.

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पितृदोष से किया होती है हानी 


- संतान न होना, संतान हो तो विकलांग, मंदबुद्धि या चरित्रहीन अथवा होकर मर जाना।
 
- नौकरी, व्यवसाय में हानि, बरकत न हो।
 
- परिवार में ऐक्य न हो, अशांति हो।
 
- घर के सदस्यों में एक या अधिक लोगों का अस्वस्थ होना, इलाज करवाने पर ठीक न होना।
 
- घर के युवक-युवतियों का विवाह न होना या विवाह में विलंब होना।
 
-  अपनों के द्वारा धोखा दिया जाना।
 
-  दुर्घटनादि होना, उनकी पुनरावृत्ति होना।
 
-  मांगलिक कार्यों में विघ्न होना।
 
- परिवार के सदस्यों में किसी को प्रेत-बाधा होना इत्यादि।
 
इस दोष को कैसे दूर करें। 


- पूर्वजों का स्मरण करते हुए ऊं पितराय नम: मंत्र का 21 बार प्रतिदिन जपा करें।

 
- हर एकादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, रविवार और गुरुवार के दिन पितरों को जल दें और उनसे क्षमा याचना करें।

 
- पितृ पक्ष में तांबे के लोटे में काला तिल, जौ और लाल फूल मिला कर दक्षिण दिशा की ओर मुख कर पितरों को जल चढ़ाएं।

 
- सूर्य को अर्घ्य देते समय ऊं सूर्याय नम: मंत्र का 21 बार जाप करना चाहिए।  

- . हर रोज एक ऐसे मंदिर में जाएं जहां पीपल का पेड़ लगा हो. उस पेड़ पर दूध-जल मिलाकर जल अर्पित करें. शाम के समय पीपल पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. इस उपाय से पितृ प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष का प्रभाव धीरे-धीरे खत्म होने लगता है.
  - किसी परिवार में किसी व्यक्ति की असमय मृत्यु हो गई हो, खास तौर से एक्सीडेंट, गंभीर बीमारी, पानी में डूबने, आग से जलकर या आत्महत्या से तो अतृप्त आत्माएं मनुष्य या परिवार पर पितृ दोष का कारण बनती हैं। यदि इनकी मृत्यु के बाद विशेष पूजा कर दी जाए तो यह आत्माएं मुक्त हो जाती हैं और पितृदोष नहीं लगता।

 - भगवान भोलेनाथ की तस्वीर या प्रतिमा के सामने बैठकर रोजान एक माला इस मंत्र का जाप करें और भगवान से पितरों की मुक्ति के लिए प्रार्थना करें. इससे पितृदोष शांत होता है और उसके प्रभाव धीरे-धीरे खत्म हो जाते हैं. मंत्र है -‘ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात’

-  अमावस्या तिथि को भी पितरों के निमित्त काम किए जाते हैं. आप अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त पवित्रता पूर्वक भोजन बनाएं और चावल बूरा, घी और एक-एक रोटी गाय, कुत्ता, और कौआ को खिलाएं. पूर्वजों के नाम से दूध, चीनी, सफेद कपड़ा, दक्षिणा आदि किसी मंदिर में या जरूरतमंद को दें. इससे भी पितर प्रसन्न होते हैं और पितृदोष शांत होने लगता

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