इस बार कुंभ का आयोजन हरिद्वार में होने वाला है जो शहर हिंदूधर्म का सबसे धार्मिक शहर माना जाता है। हरिद्वार की गंगा नदी में नहाना लोगों की धार्मिक विश्वशनीयता का उदाहरण है।
कुंभ की कथा:-
प्राचीन समय में महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण स्वर्ग से ऐश्वर्य, धन, वेभव खत्म हो गया था। तब सभी देवता विष्णु जी के पास गए, विष्णु जी ने उन्हें असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन करने का सुझाव दिया। विष्णु जी ने बताया कि समुद्र मंथन से अमृत निकलेगा और उस अमृत पान से सभी देवता अमर हो जाएंगे।
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देवताओं ने यह बात असुरों के राजा बलि को बताई तो वो भी समुद्र मंथन के लिए तैयार हो गए। भगवान धनवंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर निकले। अमृत के लिए देवताओं और दानव में युद्ध होने लगा। इस दौरान अमृत की बूंद चार स्थान यानी हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन में गिर गईं। यह युद्ध 12 वर्षों तक चला इसीलिए इन स्थानों पर हर 12 वर्ष के बाद कुंभ मेला लगता है।
कुंभ 2021 का उत्साह:-
कोरोना महामारी के कारण सभी चीजों पर ताला लग गया जिसके कारण लोगों को कई महीनों के लिए घरों में कैद रहना पड़ा। महामारी में कई त्यौहारों को मनाना काफी मुश्किल हुआ तो कई त्यौहार बिना मनाए निकाल गए। नए साल की शुरुआत के साथ लोगों का उत्साह और उम्मीद दोनों जुड़ी हुई हैं। लोगों को नए साल के साथ साथ फिर पहले जैसा होने की उम्मीद है जिसके कारण लोगों को नए साल में होने वाला पहला त्योहार कुंभ है।
तालाबंदी में कई लोगों के रोजगार ठप्प हो गए जिससे उन्हें कुंभ मेले के आयोजन से फिर रोजगार की उम्मीद जगती दिख रही है। लोगों को विश्वास है कि कुंभ सभी के लिए फिर खुशियां और मुस्कान दोनों लेकर आएगा।
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