जन्माष्टमी के पर्व पर कई पूजा और अनुष्ठान भी किए जाते हैं तथा इस बार जन्माष्टमी का त्योहार अपने साथ विशेष महत्व लेकर आया है जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण के 108 नामों का जाप करने पर सौभाग्य, यश, कीर्ति, ऐश्वर्य, पराक्रम और अपार वैभव का लाभ प्राप्त होगा। जो व्यक्ति नामों का जाप नितिशा काल इसके लिए यह जन्माष्टमी का पर्व और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। क्योंकि नितिशा काल में इन नामों का जाप करने से भगवान विष्णु की अपार कृपा का लाभ प्राप्त होता है। तो हमारे साथ पढ़िए भगवान श्री कृष्ण के 108 नाम और जानिए उन 108 भगवान श्री कृष्ण के नामों का अर्थ।
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भगवान श्री कृष्ण के 108 नाम और अर्थ
1. अभ्दुतह : अद्भुत प्रभु
2. अजन्मा : जिसकी शक्ति असीम और अनंत हो।
3. अचला : भगवान
4. दानवेंद्रो : वरदान देने वाले।
5. दयालु : करुणा के भंडार।
6. दया निधि : सब पर दया करने वाले।
7. देवाधिदेव : देवों के देव।
8. देवकीनंदन : देवकी के लाल (पुत्र)।
9. देवेश : ईश्वरों के भी ईश्वर।
10. धर्माध्यक्ष : धर्म के स्वामी।
11. द्वारकाधीश : द्वारका के अधिपति।
12. गोपाल : ग्वालों के साथ क्रीडा करने वाला।
13. अनिरुद्धा : जिसे रोका ना जा सके।
14. अपराजित : जिसे कभी हराया न जा सके।
15. अव्युक्ता : माणभ की तरह स्पष्ट।
16. बाल गोपाल : भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप का नाम।
17. बलि : सर्वशक्तिमान।
18. चतुर्भुज : चार भुजाओं वाले प्रभु
19. सुमेध : सर्वज्ञानी।
20. सुरेशम : सभी जीव-जंतुओं के देव।
21. स्वर्गपति : स्वर्ग के राजा।
22. त्रिविक्रमा : तीनों लोकों के विजेता।
23. उपेन्द्र : इन्द्र के भाई।
24. वैकुंठनाथ : स्वर्ग के रहने वाले।
25. वर्धमानह : जो आकार हीन हो।
26. वासुदेव : सभी जगह उपस्थित रहने वाला।
27. विष्णु : भगवान विष्णु के स्वरूप।
28. विश्वदक्शिनह : निपुण और कुशल।
29. विश्वकर्मा : ब्रह्मांड के निर्माता।
30. विश्वमूर्ति : पूरे ब्रह्मांड का रूप।
31. विश्वरूपा : ब्रह्मांड हित के लिए भिन्न-भिन्न रूप धारण करने वाले।
32. विश्वात्मा : ब्रह्मांड की आत्मा।
33. वृषपर्व : धर्म के भगवान।
34. यदवेंद्रा : यादव वंश के मुखिया।
35. योगि : प्रमुख गुरु।
36. योगिनाम्पति : योगियों के स्वामी।
37. कंजलोचन : जिनके नेत्र कमल जैसे हो।
38. केशव : लंबे, काले उलझा केश वाला।
39. कृष्ण : सांवले रंग वाले।
40. लक्ष्मीकांत : देवी लक्ष्मी के देवता।
41. लोकाध्यक्ष : तीनों लोक के स्वामी।
42. मदन : प्रेम के प्रतीक।
43. माधव : ज्ञान के भंडार।
44. मधुसूदन : दानव-दैत्यों का वध करने वाले।
45. महेन्द्र : इन्द्र के स्वामी।
46. मनमोहन : सबका मन हरने वाला।
47. मनोहर : अति सुंदर रूप-रंग वाला।।
48. मयूर : मुकुट पर मोरपंख धारण करने वाला।
49. मोहन : सभी को अपनी ओर मोहित करने वाला।
50. मुरली : बांसुरी बजाने वाले प्रभु।
51. मुरलीधर : जिसने मुरली धारण करी हो।
52. मुरली मनोहर : मुरली बजाकर मन को मोहने वाला।
53. नंदगोपाल : नंद बाबा के बालक।
54. नारायन : सबको ध्यान रखने वाले।
55. निरंजन : सर्वश्रेष्ठ।
56. निर्गुण : गुणों से परिपूर्ण।
57. पद्महस्ता : जिसके कमल की तरह हस्त कोमल हो।
58. पद्मनाभ : जिनकी नाभि कमल जैसी हो।
59. परब्रह्मन : पूर्ण सत्य।
60. परमात्मा : संपूर्ण पृथ्वी के स्वामी।
61. परम पुरुष : सर्वश्रेष्ठ गुणों के व्यक्तित्व वाले।
62. पार्थसारथी : अर्जुन के सारथी।
63. प्रजापति : सभी प्राणियों के स्वामी।
64. पुण्य : पूर्णत्य निर्मल।
65. पुरुषोत्तम : पुरुषों में सबसे उत्तम।
66. रविलोचन : सूर्य जैसी नेत्र वाले।
67. सहस्राकाश : अनंत आंख वाले प्रभु।
68. सहस्रजीत : सभी को जीतने वाले।
69. सहस्रपात : जिनके अनंत पैर हों।
70. साक्षी : हर वस्तु के गवाह।
71. सनातन : अनंत तक रहने वाले।
72. सर्वजन : सब कुछ मालूम।
73. सर्वपालक : सभी का पालन-पोषण करने वाले।
74. सर्वेश्वर : सभी देवताओं से उच्च स्थान रखने वाले।
75. सत्य वचन : सत्य कहने वाले।
76. सत्यव्त : सत्य का स्वरूप।
77. शंतह : शांत स्वभाव वाले।
78. श्रेष्ठ : महान।
79. श्रीकांत : अद्भुत सौंदर्य के स्वामी।
80. श्याम : सांवले रंग वाली।
81. श्यामसुंदर : सुंदर सांवले दिखने वाले।
82. सुदर्शन : देखने योग्य।
83. गोपालप्रिया : सभी के प्रिय।
84. गोविंदा : गाय, प्रकृति, भूमि रक्षा करने वाली।
85. ज्ञानेश्वर : ज्ञान से पूर्ण।
86. हरि : प्रकृति का स्वरूप।
87. हिरण्यगर्भा : सबसे शक्तिशाली राजा।
88. ऋषिकेश : सभी इन्द्रियों के देवता।
89. जगद्गुरु : ब्रह्मांड के स्वामी।
90. जगदीशा : दीपक जैसी तेज वाले।
91. जगन्नाथ : ब्रह्मांड के ईश्वर।
92. जनार्धना : सभी को आशीष देने वाले।
93. जयंतह : सभी दुश्मनों को हराने वाला।
94. ज्योतिरादित्या : जिनमें सूर्य की चमक है।
95. कमलनाथ : देवी लक्ष्मी के प्रभु।
96. कमलनयन : जिनके नेत्र जैसे हैं।
97. कामसांतक : कंस को मारने वाले।
98. अजया : जीवन और मृत्यु के विजेता।
99. अक्षरा : अविनाशी प्रभु।
100. अमृत : अमृत जैसा स्वरूप वाले।
101. अनादिह : सर्वप्रथम हैं जो।
102. आनंद सागर : कृपा करने वाले।
103. अनंता : अंतहीन देव।
104. अनंतजीत : हमेशा विजयी होने वाले।
105. अनया : स्वामी हीन ।
106. अच्युत : भूलने करने वाले।
107. आदिदेव : देवताओं के स्वामी।
108. अदित्या : देवी अदिति के पुत्र।
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