घर बैठें श्राद्ध माह में कराएं विशेष पूजा, मिलेगा समस्त पूर्वजों का आशीर्वाद
जानिए 12 प्रकार के श्राद्ध
- पहला हैं नित्य श्राद्ध जो श्राद्ध पक्ष के हर-दिन किया जाता है। हर-दिन की क्रिया को ही 'नित्य' कहते हैं।
- दूसरा हैं नैमित्तिक श्राद्ध जो एक पितृ के लिए किया जाता है, उसे नैमित्तिक श्राद्ध कहते हैं।
- तीसरा हैं काम्य श्राद्ध जो किसी कामना या इच्छा की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
- चौथा हैं पार्वण श्राद्ध जो अमावस्या के विधान के लिए किया जाता है।
- पांचवीं तरह का श्राद्ध हैं वृद्धि श्राद्ध जो किसी वृद्धि की कामना के लिए किया जाता हैं जैसे संतान प्राप्ति या परिवार में विवाह आदि।
- छठा श्राद्ध हैं सपिंडन। इसमें प्रेत व पितरों के मिलन की इच्छा रहती है। ऐसी भी भावना रहती है कि प्रेत, पितरों की आत्माओं के साथ सहयोग का रुख रखें।
- सात से बारहवें प्रकार के श्राद्ध की प्रक्रिया सामान्य श्राद्ध जैसी ही होती है। इसलिए इनका अलग से नामकरण गोष्ठी, प्रेत श्राद्ध, कर्मांग, दैविक, यात्रार्थ और पुष्टयर्थ किया गया है।
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