- धर्म ग्रंथों के अनुसार श्राद्ध के दिनों में लोग अपने पितरों को जल देते हैं तथा उनकी मृत्यु तिथि पर श्राद्ध करते हैं । श्राद्ध के कुछ नियम है जिनका पालन करना पड़ता है।
- श्राद्ध कर्म में गाय का घी दूध या दही का उपयोग करना चाहिए ।
- श्राद्ध में चांदी के बर्तनों का उपयोग किया जाए तो यह शुभ फलदायक होता है और पितृ प्रसन्न होते हैं। यदि सभी बर्तन चांदी के ना हो तो एक बर्तन आप चांदी का इस्तेमाल कर सकते हैं ।
- श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन करवाना आवश्यक है जो व्यक्ति बिना ब्राह्मण के साथ कर्म करता है उसका श्राद्ध पूरा नहीं होता। इसलिए श्राद्ध वाले दिन कम से कम एक ब्राह्मण को तो भोजन जरूर करवाएं।
- श्राद्ध में ब्राह्मण को भोजन करवाते समय, उनके बर्तन दोनों हाथों से पकड़ लेने चाहिए, एक हाथ से लाए पात्र से परोसा हुआ भोजन राक्षस छीन लेते हैं। इसलिए भोजन कराते समय भी दोनों हाथों से भोजन प्रदान करें ।
- ब्राह्मण को भोजन मौन रखकर एवं व्यंजनों की प्रशंसा किये बगैर करना चाहिए क्योंकि पितृ तब ही भोजन ग्रहण करते हैं जब ब्राह्मण मौन रहकर भोजन करता है।
- श्राद्ध के भोजन में खाना सादा होना चाहिए ज्यादा मसालेदार नहीं होना चाहिए और पितरों की पसंद का भोजन बनाया जाता है तो अति उत्तम होता है ।
- श्राद्ध हमेशा अपने ही घर में करना चाहिए किसी और के घर में किया गया श्राद्ध पाप का भागीदारी होता है। आप चाहे तो मंदिर या किसी भी तीर्थ स्थल पर श्राद्ध कर सकते है ।
- श्राद्ध करते समय ब्राह्मण का चयन भी सोच समझ कर करना चाहिए ब्राह्मण उच्च कोटि का हो जिसे धर्म शास्त्र का ज्ञान हो। क्योंकि श्राद्ध में पितरों की तृप्ति ब्राह्मणों द्वारा ही होती है।
- यदि आपके घर के आसपास घर की बेटी, दमाद या नाती नातिन रहती है तो उन्हें श्राद्ध के भोजन में जरूर शामिल करें। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं ।
- पितरों को याद करते समय यदि कोई भिखारी आ जाए तो उसे आदर पूर्वक भोजन करवाना चाहिए । जो व्यक्ति ऐसे समय में घर आए याचक को भगा देता है उसके द्वारा श्राद्ध कर्म पूर्ण नहीं माना जाता और उसका फल भी नष्ट हो जाता है।
- ब्राह्मणों को भोजन के बाद घर के द्वार तक पूरे सम्मान के साथ विदा करके आए। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ब्राह्मणों के साथ साथ पितृ भी चलते हैं। ब्राह्मणों के भोजन के बाद ही अपने परिजनों दोस्तों और रिश्तेदारों को भोजन कराएं ।
- श्राद्ध गुप्त रूप से करना चाहिए।
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