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श्राद्ध में करें इन मंत्रों का उच्चारण, प्रसन्न होंगे पूर्वज

Myjyotish Expert Updated 27 Aug 2020 02:19 PM IST
shradh pooja mantra
shradh pooja mantra - फोटो : Myjyotish
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हिन्दू धर्म में श्राद्ध का बहुत महत्व हैं , अपने पूर्वजों को याद करतें हुए उनके लिए श्राद्ध कर्म किया जाता हैं। श्राद्ध पितरों की शांति के लिए भी किया जाता हैं। इन दिनों कहा जाता हैं पितृ किसी न किसी रूप में धरती पर आते हैं । इस दौरान लोग अपने पितरों के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं । श्राद्ध करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं।
श्राद्ध पूजन के लिए मंत्र :-
  • पिता के लिए तर्पण मंत्र
तर्पण पिता को जल देते हुए अपने गोत्र का नाम ध्यान में रखते हुए बोलें गोत्रे अस्मतपिता (पिता का नाम) वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इसके बाद गंगा जल या अन्य जल में दूध, तिल और जौ मिलकर 3 बार पिता को जलांजलि दें।
  • तर्पण दादाजी को इस मंत्र के साथ दें जल-
अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें, गोत्रे अस्मत्पितामह (दादाजी का नाम) लेकर बोलें, वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र से पितामह को भी 3 बार जल दें।

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  • तर्पण माता को इस मंत्र से अर्पित करें जल-
माता को जल देने के नियम, मंत्र दोनों अलग होते हैं। क्योंकि शास्त्रों के अनुसार मां का ऋण सबसे बड़ा माना गया है।
माता को जल देने के लिए अपने (गोत्र का नाम लें) गोत्रे अस्मन्माता (माता का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र को पढ़कर जलांजलि पूर्व दिशा में 16 बार, उत्तर दिशा में 7 बार और दक्षिण दिशा में 14 बार दें।

इसके अतिरिक्त मंत्र : 

पितृभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।
पितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।
प्रपितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।
पितर: पितरो त्वम तृप्तम भव पित्रिभ्यो नम:।।

घर बैठें श्राद्ध माह में कराएं विशेष पूजा, मिलेगा समस्त पूर्वजों का आशीर्वाद 

ॐ नमो व:पितरो रसाय नमो व:पितर:शोषाय नमो व:पितरो जीवाय नमो व:पितर:स्वधायै नमो व:पितरो घोराय नमो व:पितर:पितरो नमो नमो मम जलअंजलीमगृहाण पितरो वास आधत।।
तृप्यन्तु पितर:सर्वे पितामाता महादय:।
त्वम प्रसन्ना भव इदम ददातु तिलोदकम।।

श्राद्ध इस वर्ष 1 सितंबर 2020 से 17 सितंबर 2020 तक हैं । इस साल श्राद्ध थोड़े अलग होंगे। इस साल नवरात्रि श्राद्ध के तुरंत बाद न होकर 1 महीने बाद शुरू है , इसका कारण है अधिक मास । इस साल 2 महीने अधिकमास लग रहा हैं ।


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