इस पितृ पक्ष, 15 दिवसीय शक्ति समय में गया में अर्पित करें नित्य तर्पण, पितरों के आशीर्वाद से बदलेगी किस्मत : 20 सितम्बर - 6 अक्टूबर 2021
जिनमें से मुख्य स्थान इस प्रकार हैं
• लोहानगर: इसे लोहार्गल कहते हैं। यह नगर राजस्थान में पड़ता है।यहां पांडवों ने अपने पूर्वजों के लिए सुरजकुंड में मुक्ति का कार्य किया था। यहां खासकर अस्थि विसर्जन होता है।
• मध्यमेश्वर(उत्तराखंड)- केदारधाम पर स्थित इस तीर्थ पर भगवान शंकर की नाभि प्रतिष्ठित है। यह तीर्थ पंच केदार में शामिल द्वितीय केदार है।
•रूद्रनाथ - यह तीर्थ पंच केदार में से एक तुंगनाथ के समीप स्थित है।
•बद्रीनाथ (ब्रह्म कपाल शिला) - अलखनन्दा नदी के किनारे ब्रह्म कपाल (कपाल मोचन) तीर्थ है। यहां पिण्डदान किया जाता है।
•बद्रीनाथ (ब्रह्म कपाल शिला) - अलखनन्दा नदी के किनारे ब्रह्म कपाल (कपाल मोचन) तीर्थ है। यहां पिण्डदान किया जाता है।
•हरिद्वार (हरि की पैड़ी) - यहां सप्त गंगा, त्रि-गंगा और शक्रावर्त में विधिपूर्वक देव ऋषि एवं पितृ तर्पण करने वाला पुण्यलोक में प्रतिष्ठित होता है। तदन्तर कनखल में पवित्र स्नान किया जाता है।
• कुरू क्षेत्र (पेहेवा) - पंजाब के अम्बाला जिले में सरस्वती के दाहिने तट पर स्थित इस तीर्थ को अधिक पुण्यमय माना जाता है।
• धौतपाप (हत्याहरण तीर्थ) - निमिषारण्य से लगभग 13 किमी दूर गोमती नदी के किनारे स्थित इस तीर्थ पर स्नान एवं श्राद्ध तर्पण करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।
• बिठूर (ब्रह्मावर्त) - कानपुर के निकट बिठूर नामक स्थान है, यहां गंगा जी के कई घाटों में प्रमुख ब्रह्मा घाट है।
• •प्रयागराज(इलाहाबाद)- यहां श्राद्ध एवं पितृ तर्पण करने से बहुत अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है
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