घर बैठें श्राद्ध माह में कराएं विशेष पूजा, मिलेगा समस्त पूर्वजों का आशीर्वाद
श्रीमद्भगवद्गीता कर्म, ज्ञान और भक्ति योग से जीवन का मार्ग सुगम करती है। श्राद्ध पक्ष के दौरान श्रीमद्भगवद्गीता के 18 अध्याय का पाठ जरूर करना चाहिए वह बहुत लाभदायक होता है। उनमें भी सातवें दूसरे और नोवा अध्याय का विशेष महत्व दर्शाया गया है।
श्राद्ध कर्म पूर्ण होने के बाद एक आसन बिछाए और पास में एक छोटा सा कलश भर कर रखें और थोड़ा सा गंगाजल भी मिलाकर रखें । प्रथम श्राद्ध के दिन अर्थात पूर्णिमा के दिन दाहिने हाथ में जल भरकर संकल्प ले। कहे "मैं यह गीता पाठ अपने पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति हेतु करूंगा या करूंगी"। वह जहां पर भी हो सुखी रहे जिस भी परिवार में हो वहां पर जैसे वह हमारे साथ थे वैसे ही सुखी हो। श्राद्ध पक्ष में 16 दिन होते हैं लेकिन गीता में 18 अध्याय होते हैं। जिस दिन घर में हमारे पूर्वजों का श्राद्ध होता है उस दिन 2 पाठ भी कर सकते हैं।
इस पितृ पक्ष गया में कराएं श्राद्ध पूजा, मिलेगी पितृ दोषों से मुक्ति : 01 सितम्बर - 17 सितम्बर 2020
आसपास रहने वाले बुजुर्गों और घर परिवार के लोगों को विशेष रूप से बताएं और गीता का पाठ करें । गीता पाठ सुनना बहुत ही लाभदायक होता है । श्रीमद्भगवद्गीता परमार्थ का रास्ता दिखाती है। जब भी जीवन में कठिनाइयां आती हो तो गीता पाठ पढ़ ले , इससे सही रास्ता अपने आप दिखाई दे जाता है। अगर कोई इंसान भगवद्गीता पड़ता है तो उसके मन में कुछ सवाल होते हैं जिसके जवाब उसे पढ़ते -पढ़ते ही पता चल जाते हैं। गीता मुक्ति का माध्यम बनती है। श्राद्ध पक्ष में अगर हम गीता पढ़ते हैं तो हमारे पितृ बहुत खुश होते हैं । गीता पाठ की वजह से हमारे पितृ को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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