घर बैठें श्राद्ध माह में कराएं विशेष पूजा, मिलेगा समस्त पूर्वजों का आशीर्वाद
अगर सूर्य और चंद्र दोनों ही राहू की युति में हो तो पितृदोष होता है | शनि सूर्य भगवान के बेटे है | शनि की सूर्य पर दृष्टि भी पितृदोष का कारण होता है। वह सूर्य का शत्रु भी है| पितृ दोष से जातक आदि व्याधि उपाधि तीनों प्रकार की पीड़ाओं से कष्ट उठाता है साथ ही उसके हर काम में अड़चने आती है | पितृदोष के कारण कोई भी काम अच्छे से संपन नहीं होता | घर के लोगों को लगता है की हम कितने खुश है लेकिन पितृदोष के कारण हम अंदर से बहुत परेशान रहते है | जीवन में कई प्रकार के दुख झेलने पड़ते है |
सर्वपितृ अमावस्या को गया में अर्पित करें अपने समस्त पितरों को तर्पण, होंगे सभी पूर्वज एक साथ प्रसन्न -17 सितम्बर 2020
कष्ट किस प्रकार के होते है इसका विचार व निर्णय सूर्य राहु की युति अथवा सूर्य शनि की दृष्टि सम्बन्ध या युति जिस भाव में हो उसी पर निर्भर करता है। कुंडली में चतुर्थ भाव नवम भाव, तथा दशम भाव में सूर्य राहु अथवा चन्द्र राहु की युति से जो पितृ दोष उत्पन्न होता उसे श्रापित पितृ दोष कहते है। इसी प्रकार पंचम भाव में राहु गुरु की युति से बना गुरु चांडाल योग भी प्रबल पितृ दोष कारक होता है। संतान भाव में इस दोष के कारण प्रसव कष्टकारक होता है। आठवें या बारहवे भाव में स्थित गुरु प्रेतात्मा से पितृ दोष करता है। यदि इन भावो में राहु बुध की युति में हो तथा सप्तम,अष्टम भाव में राहु और शुक्र की युति में हो तब भी पूर्वजों के दोष से पितृ दोष होता है। यदि राहु शुक्र की युति द्वादश भाव में हो तो पितृ दोष स्त्री जातक से होता है। इसका कारण भी स्पष्ट होता है की बारहवा भाव भोग एव शैया सुख का स्थान है,अतः स्त्री जातक से दोष होना स्वभाविक है।
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