महाकालेश्वर रुद्रावतार और महाविद्या महाकाली:
महादेव के सर्वप्रथम रुद्रावतार महाकालेश्वर का संबंध महाकाली रूप से माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस रूप में शिव अपनी शक्ति महाकाली से ही प्राप्त करते हैं। शिव और शक्ति के ये दोनों अवतार उनकी सभी अवतारों में से सबसे भयानक माने जाते हैं।
तारकेश्वर रुद्रावतार और मां तारा:
महादेव का दूसरा रुद्रावतार तारकेश्वर मां तारा से संबंधित है। पश्चिम बंगाल के द्वारिका नदी के निकट महाश्मशान में स्थित तारापीठ मां तारा का शक्तिपीठ है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है।
भुवनेश्वर रुद्रावतार और मां भुवनेश्वरी:
महादेव के शीतल स्वरूप वाले इस अवतार को भुवनेश्वर रुद्रावतार कहते हैं। इनकी शक्ति मां भुवनेश्वरी से आती है। इनका शक्तिपीठ उत्तराखंड में नारद गंगा के तट पर है। ऐसा माना जाता है कि महर्षि वेदव्यास ने वेद पुराणों की रचना की थी।
षोडेश्वर रुद्रावतार और मां त्रिपुर सुंदरी:
भगवान शिव का चौथा रुद्रावतार है षोडेश्वर और इसकी शक्ति देवी त्रिपुर सुंदरी हैं। महादेव के इस रुद्रावतार को मोक्षदायी माना जाता है। मां त्रिपुर सुंदरी का शक्तिपीठ त्रिपुरा के उदयपुर के निकट स्थित है।
भैरवनाथ रुद्रावतार और मां भैरवी:
मां भैरवी से अपनी शक्ति हासिल करने वाले शिव के इस रुद्रावतार को भैरवनाथ के नाम से जाना जाता है। भैरवनाथ को तामसिक देव भी कहते हैं। मां भैरवी के दो शक्तिपीठ हैं। इनमे से एक उज्जैन ने शिप्रा नदी के तट पर स्थित है तो दूसरा गुजरात के गिरनार के पास।
दमोदेश्वर रुद्रावतार और मां छिन्नमस्ता:
दामोदेश्वर रुद्रावतार महादेव का छटवां रुद्रावतार है। इस अवतार की शक्ति मां छिन्नमसता हैं। झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित इनकी शक्तिपीठ को तांत्रिक दृष्टिकोण से काफ़ी महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इनके पुराने मंदिर के टूटने के कारण उसका नवनिर्माण हुआ था अपितु वहां आज भी पुरानी मूर्तियां मौजूद हैं।
धूमेश्वर रुद्रावतार और मां धूमावती:
धुएं के स्वरूप वाले भगवान शिव के इस अवतार को धूमेश्वर नाम से जाना जाता है। इनकी शक्ति देवी धूमावती हैं। मध्य प्रदेश के दतिया जिले में माता का शक्तिपीठ है जिसकी काफ़ी अधिक मान्यता है।
बग्लेश्वर रुद्रावतार और मां बगलामुखी:
महादेव का आंठवा रुद्रावतार बगलेश्वर और बगलामुख के नाम से प्रचलित है। इनकी शक्ति का स्त्रोत देवी बगलामुखी को माना जाता है। मां बगलामुखी के तीन शक्तिपीठ हैं जिनमें से एक हिमाचल के कांगड़ा जिले में, एक मध्य प्रदेश के दतिया जिले में और एक मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में स्थित है।
मतंगेश्वर रुद्रावतार और मां मातंगी:
देवी मातंगी से अपनी शक्ति प्राप्त करने वाले महादेव के इस स्वरूप को मंगतेश्वर के नाम से जाना जाता है। मां मातंगी का शक्तिपीठ मध्य प्रदेश में एक छोटे से शहर झाबुआ में स्थित है। देवी के इस स्वरूप को ब्राह्मण अपनी कुलदेवी के रूप में देखते हैं।
कमलेश्वर रुद्रावतार और मां कमला:
कमलेश्वर महादेव का दसवां रुद्रावतार है और इनके इस स्वरूप की तुलना कमल से की जाती है। महादेव के इस रूप को अपनी शक्ति मां कमला से से मिलती है।