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जालंधर की उत्पत्ति भगवान शिव की तीसरी आंख आंख से हुई ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव ने अपनी तीसरी आंख का तेज समुद्र में फेंक दिया था जिससे जालंधर की उत्पत्ति हुई थी | पुराणों के अनुसार यह बात जालंधर को नहीं पता था कि उसके पिता भगवान शिव अवस्थी माता माता पार्वती है | और भगवान शिव को जालंधर अपना सबसे बड़ा शत्रु मानता था | जालंधर बहुत ही शक्तिशाली था उसकी शक्तिशाली होने का सबसे बड़ा कारण उसकी पत्नी वृंदा थी | पुराणों के अनुसार वृंदा अपने पति धर्म का बहुत ही पालन करती थी | के पतिवर्ता होने के कारण इन जालंधर बहुत ही शक्तिशाली था | वृंदा के पति धर्म के कारण तीनो लोक में कोई भी जालंधर को सभी देवी - देवता मिलकर भी पराजित नहीं कर सकते थे | यमराज भी जालंधर से डरते थे | उसको शक्तिशाली होने पर बहुत ही अभिमान था | जालंधर वृंदा की पतिव्रता धर्म की अवहेलना करके सभी देवी देवताओं की पत्नियों को परेशान करने लगा और उनकी पत्नियों को अपनी पत्नी बनाने लगा | जालंधर को यह बात पता थी कि उससे शक्तिशाली यदि कोई है तो वह है भगवान शिव | इसीलिए उसने अपने आप को सर्व शक्तिशाली दिखाने के लिए सबसे पहले इंद्र पर आक्रमण किया और उन को परास्त करके त्रिलोधिपति बन गया और उसके बाद उसने भगवान विष्णु का आक्रमण किया | जालंधर में भगवान विष्णु को परास्त करके माता लक्ष्मी को छीनने की योजना बनाई | परंतु माता लक्ष्मी ने उससे कहा कि तुम भी जल में उत्पन्न हुए हो और मैं भी जल से ही उत्पन्न हूं जिस ताने हम दोनों भाई बहन हुए | माता लक्ष्मी की इन बातों से जालंधर प्रभावित हुआ | और माता लक्ष्मी को अपनी बहन मानकर वहां से चला गया | उसके बाद जालंधर ने कैलाश पर आक्रमण करने की योजना बनाकर माता पार्वती को छीनने की योजना बनाई जिससे माता पार्वती क्रोधित हुई और उसके बाद भगवान शिव ने जालंधर का वध करने का प्रयास किया परंतु भगवान शिव का एक भी प्रहार जालंधर का कुछ नहीं बिगाड़ पाया | सारे प्रहार जालंधरको छूकर निकल गया |
उसके बाद भगवान विष्णु ने योजना बनाई कि वह वृंदा का पतिव्रत तोड़ेंगे उसके बाद भगवान विष्णु जालंधर का रूप धारण कर वृंदा के पास गए | वृंदा को लगा जी जी जालंधर ही है उसे नहीं पता चला कि यह भगवान विष्णु है | इससे वृंदा का पतिव्रत टूट गया | और फिर भगवान शिव ने जालंधर का वध कर दिया| पतिव्रत पर टूटने के बाद वृंदा ने आत्मदाह कर दिया |
ऐसा कहा जाता है कि वृंदा की राख के ऊपर ही तुलसी पौधे का जन्म हुआ | तुलसी देवी वृंदा का ही अंश है |
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