ऐसी मान्यता है कि तीन पत्तियों वाला बेलपत्र त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक है। यह महाकाल के त्रिशूल और त्रिनेत्र का भी प्रतीक माना जाता है। बेलपत्र पवित्र और शीतल होता है, बेलपत्र और जल चढ़ाने से भगवान शंकर का मस्तिष्क ठंडा रहता है। शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से जुड़ी कई पौराणिक कथा है।
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ब्रह्म पुराण और पदम पुराण के अनुसार एक बार भगवान शिव राक्षसों को भगाने के लिए बेलपत्र में छिप गए थे। स्कंद पुराण के अनुसार ऐसा माना जाता है कि देवी पार्वती के अलग-अलग अवतार बेलपत्र के अलग-अलग हिस्सों में होता है।
चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, सक्रांति और सोमवार को बेलपत्र नहीं तोड़ने चाहिए।एक या दो पत्ती वाला बेलपत्र शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए। कटे-फटे,टूटे और छेद वाले बेलपत्र भोलेनाथ को नहीं चढ़ाना चाहिए। महादेव को बेलपत्र धोकर, उस पर चंदन से ऊं नमः शिवाय लिखकर, बेलपत्र का चिकना भाग शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।
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