शिव जो सदैव अपने भेलेपन के लिए जाने जाते हैं। जिसके कारण शिव को भोला भंडारी भी कहलाते हैं । जो नंदी महाराज की सवारी करते हैं । जिनकी भस्म से श्रृंगार किया जाता है। जो हर सोमवार को घर में पूजे जाते हैं जो शिव के साथ शक्ति भी है जिसके कारण शिव को अर्ध नारेश्वर भी कहा जाता है।
जिन पर शिव को क्रोध आ जाए वो फिर किसी भी हालत में उनके प्रकोप से बचता नहीं है। जिस पर शिव की कृपा बरसती है उसका जीवन धन्य हो जाता है।
शिव चतुर्दशी इसलिए बहुत महत्व है शिव चतुर्दशी का पूजन
जो भी व्यक्ति पूरे श्रद्धाभाव से करता है उसके माता- पिता के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं ।
आज हम जानेगें कैसे करें शिव चतुर्दशी की पूजा
हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक, प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन शिव चतुर्दशी का व्रत किया जाता है । श्रावण महीने की शिव चतुर्दशी 9 अगस्त को है. इस पूरे दिन शिव जी की पूजा के लिए अलग विधि विधान बताए गए हैं । इस दिन व्रत को करने से व्यक्ति काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि के बंधन से मुक्त होता है । शिव चतुर्दशी व्रत में शिव के साथ माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय और शिवगणों की पूजा होती है ।
व्रत के नियम
शिव चतुर्दशी का व्रत करने वाले को मात्र एक समय भोजन करना चाहिए. इस सुबह व्रत का संकल्प लेकर शिव जी की धूप, दीप पुष्प आदि से पूजा करें । पूजा में भांग, धतूरा और बेलपत्र का विशेष महत्व है । शिव मंत्रों का जाप शिव मंदिर या घर के पूर्व भाग में बैठकर करने से फल प्राप्त होता है । चतुर्दशी के उपरांत ब्राह्मणों को भोजन कराके स्वयं भोजन करना चाहिए. चतुर्दशी के दिन रात्रि के समय शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए । शिवजी के कुछ विशेष मंत्र इस तरह हैं-
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"ऊँ नम: शिवाय" व " शिवाय नम:"
रात के समय इस मंत्र का जाप करें-
शंकराय नमसेतुभ्यं नमस्ते करवीरक
त्र्यम्बकाय नमस्तुभ्यं महेश्र्वरमत: परम
नमस्तेअस्तु महादेवस्थाणवे च ततछ परमू
नमः पशुपते नाथ नमस्ते शम्भवे नमः
नमस्ते परमानन्द नणः सोमार्धधारिणे
नमो भीमाय चोग्राय त्वामहं शरणं गतः
शिव चतुर्दशी का व्रत जो भी पूरे श्रद्धाभाव से करता है उसके माता- पिता के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। वह जीवन के सम्पूर्ण सुखों का भोग करता है । इस व्रत की महिमा से व्यक्ति दीर्घायु, ऐश्वर्य, आरोग्य, संतान एवं विद्या आदि प्राप्त कर अंत में शिवलोक जाता है।
ऐसे करें पूजा
शिव चतुर्दशी व्रत में भगवान शिव के साथ माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय जी और शिवगणों की पूजा की जाती है । पूजा के प्रारम्भ में भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है । इस अभिषेक में जल, दूध, दही, शुद्ध घी, शहद, शक्कर या चीनी,गंगाजल तथा गन्ने के रसे आदि से स्नान कराया जाता है. अभिषेक कराने के बाद बेलपत्र, समीपत्र, कुशा तथा दूब आदि से शिवजी को प्रसन्न करते हैं । अंत में भांग, धतूरा तथा श्रीफल भोलेनाथ को भोग के रुप में चढा़या जाता है। शिव चतुर्दशी के दिन पूरा दिन निराहार रहकर इनके व्रत का पालन करना चाहिए ।
महत्व
शिव चतुर्दशी का व्रत जो भी व्यक्ति पूरे श्रद्धाभाव से करता है उसके माता- पिता के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा उसके स्वयं के सारे कष्ट दूर हो जाते है तथा वह जीवन के सम्पूर्ण सुखों का भोग करता है। इस व्रत की महिमा से व्यक्ति दीर्घायु, ऐश्वर्य, आरोग्य, संतान एवं विद्या आदि प्राप्त कर अंत में शिवलोक जाता है ।
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