शिव जिसका न आदि है न अंत, जो अजन्मे है । जिन्हें परम सिद्धियों का ज्ञान है । उस शिव की लीला अपरम्पार है ।
गणेश चतुर्थी की तरह शिव चतुर्दशी का अपना महत्व है ये दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने का दिन होता है
उनसे अपनी मनोकामनाएं पूरी करने का होता है । जो लोग शिव का श्रध्दापूर्वक ध्यान लगाते हैं उन पर शिव की असीम कृपा होती है ।
आज हम जानेगें क्या है ? शिव चतुर्दशी
हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि का दिन माना जाता है। चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं। इस दिन भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ शिव परिवार के सभी सदस्यों की उपासना जाती है। सुख-शांति की कामना से शिव का पूजन किया जाता है।
इस दिन शिव पर पुष्प चढ़ाने तथा शिव के मंत्रों के जप का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन पूरे विधि-विधान एवं मंत्र जाप से शिव की पूजा करने से मनुष्य काम-क्रोध, लोभ-मोह आदि के बंधन से मुक्त हो जाता है।
शिव चतुर्दशी के दिन भगवान शिव का पूजन करते वक्त निम्न मंत्रों का जप करना चाहिए -
शिव पंचाक्षरी मंत्र - 'ॐ नम: शिवाय'। प्रतिदिन एक माला का जप।
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2. जीवन में कठिन समस्या आने पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके श्रद्धापूर्वक निम्न मंत्र का 1 लाख जप करना चाहिए। - 'ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ' यह मंत्र बड़ी से बड़ी समस्या और विघ्न को टाल देता है।
3. समस्त कष्टों से मुक्ति के लिए जपे महामृत्युंजय मंत्र - 'ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ'। एक माला प्रतिदिन जपें।
4. शिव का विशेष मंत्र - 'शिवाय नम:' ।
शिव चतुर्दशी पर इन मंत्रों से शिव का पूजन करने से जीवन की कठिन से कठिन समस्या भी दूर हो जाती है।
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