शीतला सप्तमी, संतान के सुख एवं आरोग्य प्राप्ति का दिन
शीतला सप्तमी के दिन देवी शीतला माता की पूजा अर्चना की जाती है. इस वर्ष शीतला सप्तमी 24 मार्च 2022 गुरुवार को मनाया जाएगा. देवी शीतला संतान के सुख समृद्धि की सुरक्षा करती हैं. माता शीतला का पूजन परिवार में शांति एवं सुख का प्रभाव लाता है. चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी को शीतला सप्तमी का पर्व मनाया जाता है. शीतला सप्तमी के दिन, भक्त अपने परिवार के सदस्यों, विशेषकर बच्चों को चेचक जैसी संक्रामक बीमारियों से बचाने के लिए देवी शीतला की पूजा करते हैं.
यह त्यौहार पूरे भारत में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है. भारत के दक्षिणी राज्यों में, देवी शीतला को देवी पोलेरम्मा या देवी मरिअम्मन के रूप में पूजा जाता है. कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में, शीतला सप्तमी जैसा एक समान त्योहार मनाया जाता है, जिसे 'पोलाला अमावस्या' के नाम से भी जाना जाता है. ग्रामीण रुप से इस पर्व का अत्यंत महत्व रहा है. रोगों से बचाव हेतु देवी का स्वरुप अत्यंत ही प्रभावशाली रहा है. देवी शीतला भक्तों की सुरक्षा करती हैं तथा अभय का वरदान प्रदान करती हैं
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शीतला सप्तमी पूजन विधि
शीतला सप्तमी के दिन शीतला देवी की पूजा की जाती है, भक्त सुबह जल्दी उठकर ठंडे पानी से स्नान करते हैं तथा उसके पश्चात शीतला माता मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं. इस दिन शांतिपूर्ण और सुखी जीवन के लिए इस दिन विभिन्न अनुष्ठान किए जाते हैं.
शीतला सप्तमी पर व्रत, पूजा एवं अन्य प्रकार के धार्मिक कार्य संपन्न किए जाते हैं. कुछ स्थानों पर लोग इस दिन खाना नहीं बनाते और पिछले दिन बने भोजन अर्थात बासी भोजन का सेवन करते हैं. इस दिन गर्म भोजन करना सख्त वर्जित होता है. माता को शीतल भोजन अत्यंत प्रिय होता है अत: इस दिन ठंडे भोजन करने का विधान माना गया है. कुछ भक्त इस दिन देवी शीतला को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी रखते हैं. महिलाएं यह व्रत ज्यादातर अपनी संतान की भलाई एवं अच्छे स्वास्थ्य हेतु रखती हैं.
शीतला सप्तमी पर महत्वपूर्ण समय
सप्तमी तिथि 24 मार्च, 2022 2:16 पूर्वाह्न से शुरू होती है
सप्तमी तिथि समाप्त मार्च 25, 2022 12:10 पूर्वाह्न
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शीतला सप्तमी का महत्व
शीतला सप्तमी का महत्व 'स्कंद पुराण' में वर्णित है, शीतला सप्तमी देवी शीतला को समर्पित पर्व है हिंदू पौराणिक कथाओं में शीतला माता चेचक की देवी हैं. उन्हें देवी पार्वती और देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है, हिंदू धर्म में शक्ति के दो रूपों की पूजा की जाती है. देवी शीतला को चेचक या चेचक से पीड़ित लोगों के लिए जाना जाता है और यह प्रकृति की उपचार शक्ति का भी प्रतिनिधित्व करती है. इस तरह की बीमारियों से बचाव के लिए हिंदू भक्त इस दिन अपने बच्चों के साथ शीतला माता की पूजा करते हैं. शीतला शब्द का अर्थ है 'ठंडा' और ऐसा माना जाता है कि देवी शीतला संक्रामक रोगों से पीड़ित भक्तों को शीतलता प्रदान करती हैं. भारत के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी देवी को प्रसन्न करने के लिए पशु बलि चढ़ाने की प्रथा का पालन भी करते हैं.
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