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Sharad Purnima 2020: शरद पूर्णिमा के व्रत से प्राप्त होता है संतान सुख, जरूर जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा !

Myjyotish Expert Updated 27 Oct 2020 11:20 PM IST
Sharad Purnima 2020
Sharad Purnima 2020 - फोटो : Myjyotish
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एक साहुकार के दो पुत्रियां थी। दोनों पुत्रियां पूर्णिमा का व्रत रखती थी। बड़ी पुत्री पूरा व्रत करती थी और छोटी पुत्री अधूरा व्रत करती थी। हुआ यह कि छोटी पुत्री की सन्तान पैदा होते ही मर जाती थी। उसने पंडितों से इसका कारण पूछा, तो उन्होंने बताया की तुम पूर्णिमा का अधूरा व्रत करती थी, जिसके कारण तुम्हारी सन्तान पैदा होते ही मर जाती है। पूर्णिमा को पूरे विधि-विधान से पूजा करने से तुम्हारी सन्तान जीवित रह सकती है। उसने शरद पूर्णिमा का व्रत किया। तब छोटी पुत्री के यहां संतान पैदा हुई, लेकिन वह भी शीघ्र ही मर गई। उसने अपनी संतान को लिटाकर ऊपर से कपड़ा ढक दिया। फिर बड़ी बहन को बुलाकर लाई और उसी जगह पर बैठने को कहा, जहां उसने अपनी संतान को कपड़े से ढका था। बड़ी बहन जब बैठने लगी, तो उसका घाघरा बच्चे को छू गया और घाघरा छूते ही बच्चा रोने लगा।

बड़ी बहन बोली- 'तुम मुझे कंलक लगाना चाहती थी। मेरे बैठने से यह मर जाता।' तब छोटी बहन बोली, 'यह तो पहले से मरा हुआ था। तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया है। तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है। इस घटना के बाद से वह हर वर्ष शरद पूर्णिमा का पूरा व्रत करने लगी।

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शरद पूर्णिमा व्रत विधि:
  • सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें । उसके बाद व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन व्रत रखें।
  • तांबे अथवा मिट्टी के कलश पर वस्त्र से ढकी हुई लक्ष्मी माँ की प्रतिमा को स्थापित कर उनकी पूजा करें ।
  • उसके बाद शाम के समय 100 तांबे मिट्टी या सोने के घी से भरे दीपक जलाए।
  • रात के समय खीर बनाकर उसे आसमान के नीचे रखे जहां पर उस पर चंद्रमा की रोशनी पड़ रही हो।
  • 3 घंटे बाद उस खीर का भगवान को भोग लगाकर खुद प्रसाद के रूप में ग्रहण करें और फिर अपना व्रत खोले।
  • मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए पूरी रात जागरण करें अत्यंत फल प्राप्त होता है।
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