न्याय के देवता और यमराज के भाई सूर्यपुत्र हैं शनिदेव । यह एक ऐसे देवता हैं जिनके क्रोध से इंसान तो क्या देवता भी कांपते उठते हैं। यदि इनके ऊपर शनि की बुरी दृष्टि पड़ जाएं तो सभी बने बनाए काम बिगड़ जाते है। जिस किसी पर भी शनिदेव की कुदृष्टि पड़ जाती है, उसका जीवन दुखों से भर जाता है । हालांकि ऐसा नहीं है कि शनिदेव सिर्फ बुरे कर्मों का फल देते है। सच्चे और ईमानदार लोगों को शनिदेव उनके सही कर्मों का फल देते हैं। कहते हैं शनिदेव की कृपा से तो भिकारी भी राजा बन जाता है।
कहते है कि जो भी व्यकित शनिदेव से जुड़े दान और उनके मंत्रों का जाप करता है,उसे बढ़ते कर्ज से मुक्ति पाने में मदद मिलती है। शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है साथ ही बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है यहीं नहीं शनिदेव की पूजा से साढ़ेसाती के प्रकोप से भी निजात मिलती है। शनि ग्रह सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है। इसलिए इन्हें एक राशि का भ्रमण करने में ढाई वर्ष और बाराह राशियों का भ्रमण करने पर 30 वर्ष का समय लगाता है।
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मान्यता है कि धर्मराज होने के कारण वह पापी व्यक्तियों के लिए दुख और कष्टकारक होतें है । शनि की दशा आने पर जीवन में कई कठिनाइयाँ आती हैं। मगर ईमानदारों के लिए यह यश, धन, पद और सम्मान के देवता है। शनिदेव किसी को क्षति नहीं पहुंचाते। बुरी स्थिति में अनेक ऐसे सरल तरीके हैं, जिनका हम लाभ उठाकर, शनि को शांत कर सकते हैं और जीवन में दुख एवं परेशानियों को दूर कर कामयाबी की ओर बढ़ सकते हैं।
शनिदेव का पूजन कैसे करें
- शनिवार के दिन पीपल के पेड़ पर लगी शनिदेव की मूर्ति को तेल चढ़ाएं या फिर तेल को गरीबों को दान कर दें।
- शनिवार को काला तिल और गुड़ मिलाकर चीटों को खिलाएं। और इसके अलावा शनिवार के दिन चमड़े के जूते या चप्पल दान करें
- शनिदेव को तेल चढातें समय यह ध्यान रखें की तेल इधर-उधर न गिरे।
- गरीब बच्चों को भोजन अर्पण करें , ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होतें है।
- धन एवं संपत्ति के लिए प्रत्येक शनिवार सरसों के तेल से शनिदेव का अभिषेक करना चाहिए।
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