शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक रहते हैं। गोचर अनुसार शनि जिस राशि में स्थित होते हैं उसकी दूसरी और बारहवीं राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव माना जाता है। वहीं शनि जिन राशियों से चतुर्थ और अष्टम होते हैं उसे ढैय्या से प्रभाव वाली राशि माना जाता है। शुभ शनि अपने साढ़ेसाती और ढैय्या में जातक को बहुत लाभ प्रदान करते हैं वहीं अशुभ शनि साढ़ेसाती और ढैय्या में जातक को असहनीय कष्ट देते हैं।
कुंभ राशि में शनि के राशि परिवर्तन करते ही दो राशि वालों पर शनि ढैय्या शुरू हो जाएगी वर्ष 2022 में 1 जनवरी से लेकर 29 अप्रैल तक मिथुन और तुला राशि के जातकरों पर शनि की ढैय्या का प्रभाव रहेगा।
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इन 2 राशियों पर शुरू होगी ढैय्या
मिथुन राशि: जोखिम भरे निवेश से बचें
• साल के शुरुआती महीनों में मिथुन राशि वालों को चुनौतियों का सामना करना पढ़ सकता है।
• इस दौरान आपको अपना स्वास्थ्य के ध्यान रखना होगा।
• जोखिम भरे निवेश से बचना होगा और साथ ही सामाजिक स्तर पर बात चित करते समय अति उत्साह से भी बचना होगा।
• अप्रैल से 12 जुलाई तक का समय अच्छा रहेगा।
तुला राशि: मनचाहे परिणाम होंगे प्राप्त
• शुक्र की स्वामित्व वाली तुला राशि के लोग साल की शुरुआत में पारिवारिक और कार्यछेत्र में स्ट्रगल करते दिख सकते है।
• लेकिन अप्रैल माह के बाद आप मानसिक और भावनात्मक रूप से खुद को सशक्त पाएंगे।
• 12 जुलाई तक आप शनि की ढैय्या से मुक्त होंगे इसलिए मनचाहे परिणाम आपको प्राप्त होंगे।
क्या है शनि की साढे़साती?
- व्यक्ति की कुण्डली में चंद्रमा जिस राशि में जिस डिग्री पर बैठा है उससे 45 डिग्री की पहले में जब गोचर का शनि आता है तो शनि की साढ़ेसाती शुरू होती है।
- यह 45 डिग्री के दायरे में आने के साथ शुरू होती है और चंद्रमा से आगे निकलकर 45 डिग्री दूर चली जाए, तब तक चलती है।
- यह समय कुल साढ़े सात साल का होता है, इसी कारण इसे साढ़ेसाती कहते हैं। एक राशि तीस डिग्री की होती है। शनि का एक राशि में भ्रमण ढाई साल का होता है।
- चंद्रमा के दोनों ओर डेढ़ डेढ़ राशि यानी 45 डिग्री तक इसका भ्रमण यह स्थिति पैदा करता है। यानि ढाई ढाई साल के तीन हिस्से किए जा सकते हैं।
-1 जनवरी से लेकर 29 अप्रैल तक धनु, मकर और कुंभ वालों पर शनि साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा।