शनि देव न्याय के देवता है। उनकी कृपा भक्तों की समस्त परेशानियां दूर कर देती है। वह भक्तों के बीच किसी प्रकार का भेद - भाव नहीं करते है। जिस व्यक्ति के कर्म जिस प्रकार होते है, शनिदेव उसे उसी प्रकार या फल एवं दंड प्रदान करते है। शनि दोष या शनि देव के किसी भी प्रकार के कष्ट से मुक्ति पाने के लिए शनि देव को प्रसन्न करना अनिवार्य होता है। दंडाधिकारी कहे जाने वाले शनि देव की कुदृष्टि यदि किसी व्यक्ति पर पड़ जाएं तो उसके बनते - बनते कार्य भी बिगड़ जातें है।
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार के तेलों से अभिषेक किया जाना चाहिए।
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चमेली का तेल : शनिवार के दिन शनिदेव का पूर्ण विधि - विधान से पूजन किया जाना चाहिए। तत पश्चात् उनका चमेली के तेल से अभिषेक किया जाना चाहिए। इससे प्रसन्न होकर शनिदेव भक्तों की इच्छाएं पूर्ण करते है।
सरसों का तेल : मान्यता है की इस तेल से हनुमान जी ने शनिदेव की मालिश की थी। तभी से तेलाभिषेक की प्रथा का प्रारम्भ हुआ था। इससे शनिदेव भक्तों की गलतियां क्षमाकर आशीर्वाद प्रदान करते है।
तिल का तेल : शनिवार के दिन इस तेल को शनिदेव को अर्पण करना चाहिए। साथ ही पीपल के पेड़ के नीचे दीप प्रज्वलित करना चाहिए। इससे शारीरिक कष्ट समाप्त होते है , साथ ही रोगों का निवारण होता है।
शनि त्रयोदशी पर कोकिलावन शनि धाम में कराएं शनि देव का पूजन : 1 अगस्त 2020
शनिदेव को आनंदित करने का सबसे महत्वपूर्ण उपाय है शनि त्रयोदशी पर शनिदेव का तेलाभिषेक । इससे शनिदेव प्रसन्न होतें है एवं समस्त नकारात्मक शक्तियों से अपने भक्तों की रक्षा करते है।नौकरी एवं व्यापर में वृद्धि के लिए सरसों का तेल किसी शीशी में बंद करके जल में प्रवाहित करना चाहिए। इससे व्यापर और धन आने के मार्ग में आ रही रुकावटों दूर होती है एवं घर में सुखद वातावरण रहता है।
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