गणेश चतुर्थी पर दुर्ग विनायक मंदिर वाराणसी में कराएं गणपति बप्पा का विशेष पूजन - स्थापना से विसर्जन तक: 22 अगस्त 2020 - 1 सितम्बर 2020
दुःख एवं दरिद्रता मिटाने के लिए शनिदेव की पूजा कि जाती है। यदि शनि देव रुष्ट हो जाए तो समस्त कार्य बिगड़ने लगते हैं , जिसके निवारण के लिए ही शनि की पूजा कि जाती है। अगर पूजा आराधना उचित विधि से की जाए तो शनि देव प्रसन्न होते हैं तथा अच्छा परिणाम देते हैं। शनिदेव को गंदगी बिल्कुल पसंद नहीं है, इसलिए सदैव अपना घर साफ़ रखना चाहिए । सूर्य पुत्र श्री शनिदेव न्याधीश के रूप में है, जो समय आने पर व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों के आधार पर उन्हें सजा देकर सुधारने के लिए प्रेरित करते हैं। शनि दोषों से छुटकारा पाने व शनि कृपा के लिए शनिवार के दिन भगवान शनि की पूजा का विशेष महत्त्व माना जाता है।
ज्योतिष शास्त्र में शनि की विशेष भूमिका होती है। जिन लोगों के ऊपर हमेशा कष्ट, गरीबी, बीमारियाँ व धन सम्बंधी परेशानियाँ होती हैं उन्हें शनिदेव की पूजा करनी चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वह न्यायधीश की भूमिका निभाते है। जिनका न्याय निष्पक्ष होता है नौ ग्रह में शनि को सबसे ताकतवर ग्रह माना जाता है इसीलिए उन्हें पूजा जाता है। यदि पूजा अच्छे से की जाए तो अच्छे फल मिलते हैं जिस किसी की कुंडली में शनि की दशा ठीक नहीं होती है , वह शनि की पूजा करते है जिससे उन्हें बहुत लाभ होता है।
खरसाली के यमुनोत्री धाम शनि मंदिर में कराएं शनि पूजन
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