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कुण्डली के इस भाव में शनि का विराजमान होना परेशानियों का होता है संकेत, जानिए इन परेशानियों से बचने के लिए क्या करें

my jyotish expert Updated 28 Oct 2021 10:35 AM IST
Shani ki chaal
Shani ki chaal - फोटो : Google
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शनिदेव का नाम आते ही मन विचलित हो उठता है मन में तरह-तरह के सवाल उठने लगते हैं कि अपने नक्षत्रों से शनि दोस्त को निकालने के लिए क्या उपाय किए जाएं परंतु शनि देव गलत नहीं है वह तो केवल कर्म फल दाता है आप जिस तरह के कर्म करेंगे आपको उसी तरह के फल मिलेंगे इसीलिए शनिदेव को कर्मफल दाता कहा जाता है असल में शनि देव शनि ग्रह के प्रति अनेक आखयान पुराणों में प्राप्त होते हैं।शनिदेव को सूर्य पुत्र एवं कर्मफल दातामाना जाता है। लेकिन साथ ही पितृ शत्रु भी.शनि ग्रह के सम्बन्ध मे अनेक भ्रान्तियां और इस लिये उसे मारक, अशुभ और दुख कारक माना जाता है। पाश्चात्य ज्योतिषी भी उसे दुख देने वाला मानते हैं। लेकिन शनि उतना अशुभ और मारक नही है, जितना उसे माना जाता है। इसलिये वह शत्रु नही मित्र है।मोक्ष को देने वाला एक मात्र शनि ग्रह ही है। सत्य तो यह ही है कि शनि प्रकृति में संतुलन पैदा करता है, और हर प्राणी के साथ उचित न्याय करता है। जो लोग अनुचित विषमता और अस्वाभाविक समता को आश्रय देते हैं, शनि केवल उन्ही को दण्डिंत (प्रताडित) करते हैं। अनुराधा नक्षत्र के स्वामी शनि हैं।

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इसलिए हमें इस बात से चिंता नहीं लेनी चाहिए कि शनिदेव हमारे साथ क्या करेंगे अगर आपने अच्छे कर्म किए हैं तो आपके साथ कभी कुछ बुरा नहीं होगा शनिदेव ऐसा नहीं होने देंगे लेकिन अगर आपको लगता है कि आपने कुछ ऐसा किया है जिससे शनि का प्रकोप आप पर चल रहा है तो आप उसे निपट सकते हैं किए गए उपायों से आप अपनी जिंदगी में वापस खुशहाली से जी सकते है।
 
  1. यदि शनि कुंडली के प्रथम स्थान में हों और सप्तम- दशम स्थान खाली हो तो इससे लाभ की स्थिति माना जाता है। इसे क़र्ज़ में बढ़ोतरी का प्रतीक भी माना जाता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए किसी से बैर न रखें और लड़ाई झगड़े से बचें।
  2. शनि यदि द्वितीय भाव में हों तो संतोष से काम लें। अगर आप लालच करते हैं तो काम बिगड़ सकता है।
  3. शनि अगर तृतीय स्थान में विराजमान हैं तो इससे आपके नकारात्मकता से घिरने की प्रबल संभावना बनी रहती है। इससे बचने के लिए घर में अंधकार न रखें। घर का द्वारा यदि पूर्व या दक्षिण में है तो इससे भी शनि का प्रकोप झेलना पड़ सकता है ।
  4. शनि चतुर्थ स्थान में हों तो नया घर खरीदने से बचना चाहिए। मान्यता है कि अगर ऐसी स्थिति में नया घर या कोई प्रोपर्टी लिया जाए तो ये ज्यादा समय तक टिक नहीं पाता है।
  5. वहीं अगर शनि पंचम भाव में हों तो इससे संतान को नुकसान होने का खतरा बना रहता है। इस दौरान दिवालिया होने की भी संभावना रहती है इसलिए किसी नए निर्माण से बचें.
  6. शनि का छठे भाव में होना शुभ माना जाता है। इससे रोग से मुक्ति मिलती है और ज़मीन जायदाद में बढ़ोतरी होती है। हालांकि इस दौरान भी सावधानी बरतें और मदिरा आदि के सेवन से बचें।
  7. शनि अगर सप्तम भाव में हों तो इससे आपको आर्थिक और सामाजिक रूप से नुकसान हो सकता है। इस दौरान पराई स्त्री या पुरुष का मोह न करें और पैसों का सही इस्तेमाल करें।
  8. अगर शनि अष्टम भाव में हैं तो शनि मंगल की युति पर गुप्त रोगों की संभावना रहती है इसलिए अपने स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखें। आर्थिक नुकसान की स्थिति बनी रहती है इसलिए धन का अपव्यय न करें।
  9. शनि का नवम भाव में होना जातक के लिए शुभ माना जाता है। इससे जातक आध्यात्म की तरफ मुड़ता है और वो सांसारिक लोभ से भी दूर होता है
  10. शनि अगर दसवें भाव में हों तो इसे शुभ माना जाता है। इससे लक्ष्मी प्रसन्न होतीं हैं और धन-धान्य की पूर्ति होती है। लेकिन इस दौरान दूसरों को बेवजह धन देने से बचें।
  11. शनि का ग्यारहवें भाव में होना आपको आर्थिक नुकसान पहुंचा सकता है। इससे बचने के लिए जरूरत के मुताबिक ही खर्च करें और कर्ज देने  से बचें।
  12. बारहवें भाव में शनि का विराजमान होना शुभ नहीं माना जाता। इस दौरान कोई नया काम शुरू करने से बचें, आर्थिक नुकसान हो सकता है।


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