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शनि जयंती 2020 : शनि के शुभ प्रभावों को प्राप्त करने हेतु करने चाहिए ये काम

MyJyotish Expert Updated 20 May 2020 05:38 PM IST
Shani Jayanti 2020: This work should be done to get the auspicious effects of Shani
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शनि के प्रकोप का भोज सहन करना किसी भी व्यक्ति की क्षमता के लिए संभव नहीं है। इसलिए लोग विभिन्न माध्यमों का प्रयोग करके शनि को प्रसन्न करने की कोशिश करते है। शनि की कृपा को प्राप्त करने के लिए शनि जयंती का दिन बहुत शुभ माना जाता है। इस वर्ष यह पर्व 22 मई 2020 , शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा। शनि की ढैय्या , साढ़े  साती एवं अष्टम शनि के दुष्प्रभाव इस दिन पर शनि को सरसों का तेल अर्पण करने से दूर हो जातें है। शनि देव के पिता सूर्य देव है , एवं उनकी माता का नाम छाया है। वह स्वाभाव से क्रोधित एवं दुःख दायक ग्रह माने जातें है। जो वास्तविकता से बिलकुल विपरीत है। असल में तो शनि मित्र ग्रह के रूप में अपने भक्तों की सहायता के लिए उपस्थित होतें है। वह मृत्यु के देवता यमराज के भाई भी है।



शनि जयंती के शुभ अवसर पर कोकिलावन शनि धाम में चढ़ाएं 11 किलों तेल और पाएं अष्टम शनि ,शनि की ढैय्या एवं साढ़े - साती के प्रकोप से छुटकारा : 22-मई-2020

शनि देव की इच्छा और आशीर्वाद से व्यक्ति का जीवन क्षण भर में बदल सकता है। शनि न्याय के देवता है उनकी दृष्टि में कोई भी व्यक्ति भिन्न नहीं है और वह सदैव व्यक्ति को उसके कर्म के हिसाब से फल और दंड प्रदान करतें है। शनि देव को प्रसन्न करने हेतु शनिवार के दिन काले कौवों को गुलाभ जामुन खिलाने चाहिए और साथ ही साथ शनि चालीसा का पाठ भी करना चाहिए। शनिवार का दिन शनि के दिन के रूप में जाना जाता है। जिससे इस दिन यदि उनकी सवारी कुत्तें को तेल लगाकर रोटी खिलाई जाएँ तो इससे शनि देव बहुत प्रसन्न होतें है। महाबली हनुमान की आरधना से भी शांत हो जातें है शनि देव के दुष्प्रभाव और दूर होती है दरिद्रता की स्थितियां। इस दिन हनुमान जी के चालीसा का पाठ करने से दूर हो जातें है शनि के प्रकोप।

शनि जयंती के पावन अवसर पर कोकिलावन शनि धाम में कराएं तेल अभिषेक


शनि जयंती का पर्व शनि देव को प्रसन्न करने में अहम स्थान सुनिश्चित करता है। इस दिन शनि देव सरलता से प्रसन्न हो जातें है। शनि देव को काले रंग की वस्तु , प्राणी एवं स्वयं काले रंग से अधिक प्रेम है। इसलिए यदि कोई भी व्यक्ति शनिवार के दिन काले रंग के पशु -  पक्षियों को भोजन कराया जाना चाहिए , साथ ही काले रंग के वस्तु को दान भी करना चाहिए। शनि जयंती के दिन शनि देव का सरसों के तेल से अभिषेक करना चाहिए। इस दिन शनि मंदिर में चालीसा एवं शनि मंत्रों का जाप भी किया जाना चाहिए। इससे शनि के दुष्प्रभावों का असर समाप्त होता है।

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