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शनि जयंती 2020 : जानिए शनि जयंती पर किस प्रकार प्राप्त होती है शनिदेव कृपा

MyJyotish Expert Updated 17 May 2020 10:19 AM IST
Shani Jayanti 2020: know how to get Shani Dev grace on Shani Jayanti
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शनि जयंती या शनि जन्मोत्सव नवग्रहों में सर्वश्रेष्ठ शनि देव के जन्म दिन के उल्लास के रूप में मनाई जाती है। इस दिन शनि देव की आरधना का अर्थ है अपने जीवन से समस्त विपदाओं का नाश करने का मार्ग प्रकाशित करने की ओर आगे बढ़ना। शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। वह कभी भी अपने भक्तों में फर्क नहीं करते। जिस व्यक्ति के कर्म जैसे होंगे उसे फल भी उसी प्रकार मिलेगा चाहे फिर जो अच्छें कर्मों के शुभ फल हो या बुरें कर्मों के लिए उसे दंड की प्राप्ति हो। शनि की कृपा प्राप्ति या दंड भक्तों में किसी प्रकार का भेद भाव नहीं करती है। जो कोई भी व्यक्ति उनकी उपासना शनि जयंती के दिन करता है उसकी इच्छाएं अवश्य ही पूर्ण हो जाती है। शनि देव सूर्य देव और माता छाया के पुत्र है।



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शनि देव ने वर्षों तक महादेव शिव शंकर की उपासना से अपनी शक्तियों को प्राप्त किया है। उनके कुप्रभावों से तो देवताओं को भी भय का आभास करना पड़ता है। एक बार यदि शनि देव की कुदृष्टि किसी के जीवन पर पड़ गयी तो उसे कोई बचा नहीं सकता सिवाय एक मार्ग के वह जल्द से जल्द अपने दोष को ख़त्म करने के लिए शनि देव की शरण में जा पहुंचे। माना जाता है की शनि की शरण में जो रहता है उसके जीवन में व्यथा का कोई स्थान नहीं रहता। उनकी उपासना का सबसे महत्वपूर्ण दिन शनि जयंती यानि की शनि देव का जन्मदिन माना जाता है। इस दिन वह बहुत प्रसन्न रहता है , यदि कोई अपनी मुसीबतों से छुटकारा पाकर सुख से जीवन व्यतीत करना चाहता है तो शनि जयंती के दिन शनि देव पर सरसों का तेल अर्पण करके वह अपने दुःखों से मुक्ति पा सकता हैं।

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शनि देव की आरधना संसार की समस्त विपदाओं का अंत करने में सर्व श्रेष्ठ है। शनि एवं अन्य ग्रहों के दोष भी शनि देव की आराधना से पूर्ण रूप से ठीक हो जातें  है। अष्टम शनि, शनि की ढैय्या एवं साढ़े - साती जैसे गंभीर नुकसान प्रदान करने वाली विपदाओं का अंत अभी शनि देव की आराधना से दूर होतें है। शनि देव ही शनि ग्रह का प्रतिनिधित्व करतें है जिसके कारण उनसे प्राप्त होने वाली कुशलता न केवल व्यक्ति को सफलता की राह पर आगे पहुँचाती है बल्कि उसका जीवन सुख -समृद्धि और संतुष्टि से भी भर देती है।

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