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Home ›   Blogs Hindi ›   Shani Dev Pooja Shani Ke Prakop Se Kaise Bache Upay Remedies

शनि के प्रकोप से कैसे मिलेगा छुटकारा, जानें कब और कैसे करें पूजा ?

Myjyotish Expert Updated 19 Apr 2021 02:12 PM IST
Shani Dev
Shani Dev - फोटो : Google
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शनि देव महाराज उन देवताओं में से है जो अपने भक्तों की मनोकामनाएं किसी भी हाल में पूर्ण करते हैं। जो लोग भगवान शनि देव की श्रध्दा पूर्वक पूजा अर्चना करते हैं उन लोगों की बात  शनि देव आवश्यक ही सुनते हैं। और  अपनी कृपा दृष्टि सदैव उन लोगों पर बनाए रहते हैं ।

बता दें कि शनि देव लोगों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं । शनि ही एक मात्र ऐसा ग्रह है जो व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त कराता है। शनिदेव प्रकृति में संतुलन पैदा करता है और हर व्यक्ति और प्राणी का उसके कर्मों के अनुसार न्याय करता है। अनुराधा नक्षत्र के स्वामी शनि हैं।

शनि की लीला सबसे न्यारी है जो एक न्याय प्रिय देव के रूप में जानें  जाते हैं।  वो एक महान देवता है जो जहाँ एक तरफ अपने भक्तों की गलती पर उन्हें सजा देते हैं तो वहीं दूसरी तरफ शनि उनके अच्छे काम करने पर उन्हें उचित फल भी देते हैं किन्तु जिनसे वो रूठ जाते हैं उनको शनि देव के दण्ड का भागी होना होता है । या कहा जाए तो शनि के साढ़े साती का भोगी होना होता है । कहते हैं कि उन लोगों पर शनि देव के साढ़े साती का प्रभाव बहुत कम पड़ता है जो लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं  ।

मान्यता है कि अगर किसी का शनि ग्रह अच्छा हो तो सफलता उसे जरूर प्राप्त होती है। लेकिन शनि ग्रह अच्छा न हो तो व्यक्ति के जीवन में कई परेशानियां आती रहती हैं। कहा जाता है कि शनि को शांत करने के लिए अगर शनिवार को पूजा-अर्चना की जाए तो शनिदेव प्रसन्न हो जाते हैं और व्यक्ति की सभी परेशानियों को हर लेते हैं। शनिवार को विधि-विधान से पूजा की जानी चाहिए। अगर आप भी आज शनिदेव की पूजा कर रहे हैं तो आइए जानते हैं शनिदेव की पूजन विधि।

शनि साढ़े साती पूजा - Shani Sade Sati Puja Online

आज हम जानेगें कैसे करे शनि देव की पूजा 

शनिवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए। फिर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं और स्वच्छ कपड़ें पहन लें। फिर पीपल के वृक्ष पर जल अर्पण करें। फिर शनि देवता की मूर्ति लें। यह लोहे से बनी हो तो बेहतर होगा। इस मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं। अब चावलों के चौबीस दल बनाएं और इसी पर मूर्ति को स्थापित करें। इसके बाद काले तिल, फूल, धूप, काला वस्त्र व तेल आदि से शनिदेव की पूजा-अर्चना करें। शनिदेव की पूजा के दौरान शनिदेव के 10 नामों कोणस्थ, कृष्ण, पिप्पला, सौरि, यम, पिंगलो, रोद्रोतको, बभ्रु, मंद, शनैश्चर का उच्चारण करें। इसके बाद पीपल के वृक्ष के तने पर सूत के धागे से 7 परिक्रमा करें। फिर शनिदेव के मंत्र का जाप करें। शनैश्चर नमस्तुभ्यं नमस्ते त्वथ राहवे। केतवेअथ नमस्तुभ्यं सर्वशांतिप्रदो भव॥

आज हम जानेगें शनि देव की पूजा किन परिस्थितियों में करें

1. शुद्ध स्नान करके पुरुष पूजा कर सकते हैं। 
2. महिला शनि चबूतरे पर नहीं जाएं। मंदिर हो तो स्पर्श न करें। 
3. अगर आपकी राशि में शनि आ रहा है तो शनि को अवश्य पूजें। 
4. अगर आप साढ़ेसाती से ग्रस्त हो तो शनिदेव का पूजन करें। 
5. यदि आपकी राशि का अढैया चल रहा हो तो भी शनि देव की आराधना करें। 
6. यदि आप शनि दृष्टि से त्रस्त एवं पीड़ित हो तो शनिदेव की अर्चना करें। 
7. यदि आप कारखाना, लोहे से संबद्ध उद्योग, ट्रेवल, ट्रक, ट्रांसपोर्ट, तेल, पेट्रोलियम, मेडिकल, प्रेस, कोर्ट-कचहरी से संबंधित हो तो आपको शनिदेव मनाना चाहिए। 
8. यदि आप कोई भी अच्छा कार्य करते हो तो शनि देव की कृपा के लिए प्रार्थना करें। 
9. यदि आपका पेशा वाणिज्य, कारोबार है और उसमें क्षति, घाटा, परेशानियां आ रही हों तो शनि की पूजा करें। 
10. अगर आप असाध्य रोग कैंसर, एड्स, कुष्ठरोग, किडनी, लकवा, साइटिका, हृदयरोग, मधुमेह, खाज-खुजली जैसे त्वचा रोग से त्रस्त तथा पीड़ित हो तो आप श्री शनिदेव का पूजन-अभिषेक अवश्य कीजिए। 
11. जिस भक्त के घर में प्रसूति सूतक या रजोदर्शन हो, वह दर्शन नहीं करता ।


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