myjyotish

6386786122

   whatsapp

6386786122

Whatsup
  • Login

  • Cart

  • wallet

    Wallet

विज्ञापन
विज्ञापन
Home ›   Blogs Hindi ›   Online Shani Dev Chalisa Lyrics In Hindi Significance

Shani Chalisa : जानें शनि चालीसा और उसका महत्व

myjyotish expert Updated 19 Jun 2021 01:08 PM IST
Shani Chalisa Hindi Lyrics Online
Shani Chalisa Hindi Lyrics Online - फोटो : google
विज्ञापन
विज्ञापन
Shani Dev Chalisa Lyrics Hindi - हनुमान चालीसा और दुर्गा चालीसा की तरह ही शनि चालीसा होता है ∣  जो 2 दोहा 40 छंदों से मिलकर बना है ∣ और यह एक दोहा के साथ समाप्त होता है 
हिंदू ज्योतिष में, शनि महादशा के दौरान उसके दुष्प्रभाव को कम करने के लिए शनि चालीसा का पाठ किया जाता है ∣

शनि ग्रह के बारे में हमारे पुराणों में क ई बात मिलती है, कि  शनि सूर्य के पुत्र और  कर्म के देवता माने जाते हैं ∣ शनि अनुराधा नक्षत्र के स्वामी हैं। पश्चिमी ज्योतिषी भी उन्हें एक चित्रकार मानते हैं। लेकिन शनि उतना अशुभ नहीं होते हैं  जितना की उन्हें माना जाता है।  आपको बता दे कि मोक्ष देने वाला एकमात्र ग्रह शनि ही है।

किन्तु वास्तविकता यहाँ है कि शनि से ही प्रकृति का संतुलन बनाता है ∣ और प्रत्येक जीवित प्राणी के साथ न्याय करता है।शनि केवल ऐसे व्यक्ति को दंडित करते हैं   जो अनुचित विषमता और अप्राकृतिक समता को आश्रय देते हैं।

आज हम शनि चालीसा को जानेगें 

शनि चालीसा (Online Shani Chalisa) -  


दोहा:

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।

दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥

जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।

करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥

जयति जयति शनिदेव दयाला।

करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥

चारि भुजा, तनु श्याम विराजै।

माथे रतन मुकुट छबि छाजै॥

परम विशाल मनोहर भाला।

टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥

कुण्डल श्रवण चमाचम चमके।

हिय माल मुक्तन मणि दमके॥

कर में गदा त्रिशूल कुठारा।

पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥

पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन।

यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन॥

सौरी, मन्द, शनी, दश नामा।

भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥

जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं।

रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं॥

पर्वतहू तृण होई निहारत।

तृणहू को पर्वत करि डारत॥

राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो।

कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो॥

बनहूँ में मृग कपट दिखाई।

मातु जानकी गई चुराई॥

लखनहिं शक्ति विकल करिडारा।

मचिगा दल में हाहाकारा॥

रावण की गति-मति बौराई।

रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥

दियो कीट करि कंचन लंका।

बजि बजरंग बीर की डंका॥

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा।

चित्र मयूर निगलि गै हारा॥

हार नौलखा लाग्यो चोरी।

हाथ पैर डरवायो तोरी॥

भारी दशा निकृष्ट दिखायो।

तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥

विनय राग दीपक महं कीन्हयों।

तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों॥

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी।

आपहुं भरे डोम घर पानी॥

तैसे नल पर दशा सिरानी।

भूंजी-मीन कूद गई पानी॥

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई।

पारवती को सती कराई॥

तनिक विलोकत ही करि रीसा।

नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी।

बची द्रौपदी होति उघारी॥

कौरव के भी गति मति मारयो।

युद्ध महाभारत करि डारयो॥

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला।

लेकर कूदि परयो पाताला॥

शेष देव-लखि विनती लाई।

रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥

वाहन प्रभु के सात सुजाना।

जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥

जम्बुक सिंह आदि नख धारी।

सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।

हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥

गर्दभ हानि करै बहु काजा।

सिंह सिद्धकर राज समाजा॥

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै।

मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥

जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।

चोरी आदि होय डर भारी॥

तैसहि चारि चरण यह नामा।

स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा॥

लौह चरण पर जब प्रभु आवैं।

धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥

समता ताम्र रजत शुभकारी।

स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी॥

जो यह शनि चरित्र नित गावै।

कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥

अद्भुत नाथ दिखावैं लीला।

करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥

जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई।

विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत।

दीप दान दै बहु सुख पावत॥

कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।

शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥

दोहा:

पाठ शनिश्चर देव को, की हों ‘भक्त’ तैयार।

करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥

शनि देव चालीसा का महत्व:


1.अपने विचारों को परिष्कृत करें और अपनी दृष्टि में स्पष्टता प्राप्त करें ∣ 

2.विचारों की पवित्रता प्राप्त करें ∣ 

3.अपने सभी दुख-दर्द को दूर रखें ∣ 

4. साढे़  सती के काल में परेशानियों को दूर रखें ∣ 

5.सभी परेशानियों और बाधाओं को दूर रखें ∣ 

6.भौतिक समृद्धि और आराम प्राप्त करें ∣ 

गंगा दशहरा पर हरिद्वार गंगा घाट पर कराएँ 10 महादान- पाएँ 10 पापों से मुक्ति - 20 जून 2021


7.बुरे कार्यों और अपराध से सुरक्षा प्राप्त करें ∣ 

8.जीवन में दुर्घटनाओं से सुरक्षित रहें ∣ 

शनि देव चालीसा का पाठ कब करें:


शनि चालीसा का जाप करने का वैसे तो कोई विशेष समय नहीं है। आपको केवल भक्ति की आवश्यकता है। किन्तु इसका आदर्श रूप यह है कि, शनि चालीसा का सबसे अच्छा प्रभाव तब होता है जब आप शनिवार की शाम को चालीसा का पाठ या जप करते हैं।

गंगा दशहरा पर कराएं गंगा आरती एवं दीप दान, पूरे होंगे रुके हुए काम-20 जून 2021
 

शनि चालीसा कैसे करें:


1.स्नान करने के बाद आपको काले रंग के कपड़े पहनना चाहिए। 

2.फिर अपने आप को ध्यान मुद्रा में बैठें और शनिदेव की तस्वीर रखें।

 3.कृपा, देवता की विशालता पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करें, अपनी प्रार्थनाओं में उनका धन्यवाद करें और अपनी समस्याओं का परिवहन करें।

ये भी पढ़े:

घर में भूलकर भी ये पेड़ न लगाए, हो सकता है बुरा हाल
 

जानिए श्रावण में रुद्राभिषेक की महिमा पूजा सामग्री से लेकर पूजा विधि तक

 

गायत्री जयंती के दिन निर्जला एकादशी व्रत, जानें कब हैं गायत्री जयंती, मंत्र, तिथि मुहूर्त और महत्व

 

  • 100% Authentic
  • Payment Protection
  • Privacy Protection
  • Help & Support
विज्ञापन
विज्ञापन


फ्री टूल्स

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms and Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree
X