Sawan Teej 2023: सावन में इस कथा के साथ पूर्ण होता है तीज का व्रत, जानें तीज कथा और इसका महात्म्य
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सावन में आने वाले कुछ पर्व विशेष रुप से स्त्रियों हेतु उनके सौभाग्य के सुख से जुड़े हैं. इनमें से मंगलागौरी एवं तीज का पर्व बेहद खास है. सावन में आने वाले इन पर्व के समय एक कथा का श्रवण एवं पठन बहुत शुभ माना जाता है. शिवपुराण इत्यादि अनुसार इस कथा का संबंध भगवान महादेव के देवी पार्वती के साथ उनके वैवाहिक जीवन की शुरुआत एवं कठोर तप के द्वारा मिलने वाले पुण्य फलों को दर्शाती है. इन कुछ पर्वों के दौरान इस कथा को जरूर सुना जाता है. तीज हो या अन्य पर्व इन सभी के दौरान व्रत की शुभता हेतु महिलाएं सभी प्रकार के धार्मिक कर्म संपूर्ण करती हैं और अपने खुशहाल जीवन की कामना करते हुए भगवान शिव एवं माता पार्वती की भक्ति करती हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि सावन के दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को पूजा के साथ सच्चे मन से व्रत कथा भी सुननी चाहिए. इससे उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
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सावन तीज कथा और महत्व
सावन में आने वाले सभी व्रत बेहद शुभ होते हैं इसी में हरियाली तीज का व्रत बहुत कठिन माना जाता है. इस दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और पूजा के बाद भगवान शिव और माता पार्वती की व्रत कथा सुनी जाती है. कथा इस प्रकार है कि एक बार नारद मुनि पार्वती के पिता पर्वतराज के घर गए और उनसे कहा कि जगत के पालनहार भगवान विष्णु आपकी पुत्री पार्वती से विवाह करना चाहते हैं. यह सुनकर पर्वतराज बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने भगवान विष्णु के इस प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार कर लिया. लेकिन जब यह बात पार्वती तक पहुंची तो वह दुखी हो गईं क्योंकि वह शिव को वर के रूप में पाना चाहती थीं.
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देवी की कठोर तत्पस्या का प्रभाव
देवी पार्वती ने तब शिव को पाने हेतु उन्होंने एक गुफा के अंदर रेत से एक शिवलिंग बनाया और उसकी पूजा की और वहीं पर कठोर तपस्या करने लगीं. इधर पार्वती भगवान विष्णु और पार्वती से विवाह करने के लिए उत्सुक थीं, लेकिन उन्हें पृथ्वी और पाताल में भी पार्वती नहीं मिलीं. पार्वती की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को उसी गुफा में साक्षात महादेव ने प्रकट होकर पार्वती को दर्शन दिए और उन्हें हर जन्म के लिए अपने साथी के रूप में स्वीकार किया. इस तरह मां पार्वती की कठोर तपस्या और व्रत के कारण उन्हें भगवान शिव का साथ मिला. इस प्रकार सावन में इस कथा का श्रवण करने से भक्तों को उनके मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है.