हिंदी पंचांग के अनुसार श्रावण मास की पूजा 6 अगस्त को है, भगवान शिवा का जलाभिषेक करने का सबसे अच्छा दिन माना गया है। आइए जानते हैं भगवान शिव का जलाभिषेक करने का सबसे उत्तम समय और पूजा की विधि!
हिंदू धर्म में शिवरात्रि को बहुत खास माना जाता है ऐसे तो मासिक शिवरात्रि हमेशा कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को पड़ती है। जैसे ही आषाढ़ मास खत्म होगा 24 जुलाई को वैसे ही श्रावण मास का प्रारंभ होगा। सावन का महीना भगवान शिव के नाम होता है। इसी कारण सावन की शिवरात्रि को भी बहुत खास माना जाता है। सावन की शिवरात्रि को भगवान शिव की जलाभिषेक करने को बहुत शुभ माना जाता है ऐसी मान्यता है की अगर उस दिन शिव भगवान की जलाभिषेक होने पर भक्तों की सारी संकटे दूर हो जाती है। इस दिन शिव के भक्त फलाहारी व्रत भी रखते हैं और शिव की विधि विधान से पूजा करते हैं और सिर्फ यही नहीं बल्कि ऐसा माना जाता है उस दिन शिव के भक्त जो भी मांगते हैं उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है! उनको आगे कोई दुखो का सामना नहीं करना पड़ता किंतु भगवान शिव उनके साथ हमेशा रहते हैं।
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कब है सावन की शिवरात्रि -
हर साल श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को हर साल सावन की शिवरात्रि होती है! साल 2021 6 अगस्त को पड़ेगा सावन की शिवरात्रि का पर्व। 6 अगस्त को व्रत और 7 अगस्त को व्रत का पारण होगा।
सावन शिवरात्रि के पूजा का शुभ मुहूर्त:
शिवरात्रि का पर्व व्रत: 6 अगस्त 2021 शुक्रवार को
निशिता काल का पूजा समय: 7 अगस्त 2021 को साय 12:06 से 12:48 तक
पूजा की अवधि: सिर्फ 48 मिनट!
शिवरात्रि व्रत पारण समय: 7 अगस्त को सांय 5:46 से 3:47 बजे तक
सावन में चतुर्दशी तिथि
चतुर्दशी तिथि का शुरुआत: 6 अगस्त 2021 को 6:23 पीएम पर
चतुर्दशी तिथि की समाप्ति: 7 अगस्त 2021 को 7:11 पीएम पर
सावन की शिवरात्रि की पूजा का विधि:
इस दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करके भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए, तथा शिवलिंग पर जल चढ़ा के दही, दूध, शहद, घी, चंदन, भांग, धतूरा, गंगाजल अर्पित करना चाहिए।
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