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जैसा कि हम जानते हैं 25 जुलाई से लेकर 22 अगस्त तक रहने वाला है सावन का यह महीना इससे यह पता चलता है कि इस महीने में प्रदोष व्रत पढ़ने वाले हैं एक तो 5 अगस्त को रखा गया था और दूसरा अब 20 अगस्त को शुक्रवार के दिन रखा जाएगा. चलिए देखते हैं सावन के प्रदोष व्रत यानी जो दूसरा प्रदोष व्रत पड़ने वाला है उसमें क्या-क्या है होने वाला है और किस समय
त्रयोदशी बीपी 20 अगस्त तक रहने वाली है 8:25 तक शादी शादी है मैं बताया गया है कि इसके खत्म होते ही चतुर्दशी तुरंत लग जाएगी और तो और सावन 2021 का जो महीना है उसमें दूसरे प्रदोष व्रत ताजुद्दीन पड़ेगा उसमें शुभ संयोग आयुष्मान और सौभाग्य का बनने वाला है जिसने से आयुष्मान 20 अगस्त को इन बचकर 32 मिनट तक अप्रैल को रहेगा और इसके खत्म होते ही सौभाग्य योग लग जाएगा.
चलिए जानते हैं आयुष्मान और सौभाग्य योग इतना महत्व क्यों रखते हैं?
ज्योतिष शास्त्र में यह बताया गया है कि जो भी कार्य आयुष्मान और सोमवार के योग में करा जाता है उसमें हमें जरुर सफलता प्राप्त होती है.
जैसा कि पहले बताया अगर प्रदोष व्रत में पूजा करें उसका बहुत महत्व रखता है क्योंकि यह व्रत बहुत शुभ माना जाता है यह व्रत रखने से आप भगवान शिव को प्रसन्न कर अपनी सारी मनोकामना पूरी करवा लेते हैं और साथ ही साथ आप पर भगवान शिव की कृपा हमेशा बनी रहती है. प्रदोष काल संध्या के समय ठीक सूर्यास्त से 43 मिनट पहले ही शुरू हो जाता है. और शुरू होते ही शिव के भक्त भगवान शिव के लिए व्रत रखते हैं और उनके लिए यह बहुत फलदायक होता है क्योंकि वह अपने पूरे सच्चे मन से भगवान शिव और पार्वती की आराधना करते हैं.
कैसे करते हैं प्रदोष व्रत की पूजा
सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान जरूर कर लेना चाहिए और जैसे ही स्नान कर ले उसके बाद सांप वस्त्र धारण करके अपने घर के मंदिर पर दीप जला ले और अगर आप व्रत रख रहे हैं तो उसी समय व्रत की शुरुआत कर सकते हैं और किसी भी मंदिर जाकर भगवान शिव को जल से अभिषेक जरूर करें और उनको पुष्प चढ़ाएं. भगवान शिव के 7 साल माता पार्वती और गणेश भगवान की भी पूजा करनी चाहिए क्योंकि ऐसा कहा जाता है कोई भी अच्छा कार्य करने जा रहे हो तो सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करी जाती है.
उसके बाद शिव भगवान को थोड़ा सा भोग लगाएं पर इस बात का जरूर ध्यान रखें कि भगवान को सात्विक चीजों का ही भोग लगाएं. और फिर भगवान शिव की आराधना करते हुए उनकी आरती करें. इस बात का जरूर ध्यान रखें कि शरीर पर सिर्फ बहुत और गंगाजल ही चढ़ाएं और उनको बेल्पथर जी जरुर चढ़ाएं.
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